Dihuli Massacre: फिरोजाबाद जिले के दिहुली हत्याकांड में 44 साल 4 महीने बाद मंगलवार को मैनपुरी कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने इस हत्याकांड में शामिल तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाते हुए प्रत्येक पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। यह फैसला विशेष डकैती न्यायालय के एडीजे इंद्र सिंह द्वारा सुनाया गया।
44 साल बाद आया दिहुली हत्याकांड पर फैसला
गौरतलब है कि वर्ष 1981 में डकैतों के एक गिरोह ने दलितों के एक गांव पर हमला कर दिया था। उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 24 दलितों की हत्या कर दी थी जबकि कई अन्य घायल हुए थे जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इस भीषण हत्याकांड के बाद पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल (Dihuli Massacre) गया था और इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंची थी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दिहुली गांव का दौरा किया था।
लगातार 3 घंटे तक चली थी गोलियां
पीड़ित परिवारों को मिला न्याय
दिहुली हत्याकांड एक दर्दनाक घटना (Dihuli Massacre) थी जिसने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 44 साल बाद आया यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन यह भी याद दिलाता है कि न्याय प्रणाली को और तेज और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। पीड़ित परिवारों को अब उम्मीद है कि फरार आरोपी ज्ञान चंद्र उर्फ गिन्ना भी जल्द से जल्द गिरफ्तार होगा और उसे भी सजा मिलेगी।