Cyclone Ditwah ने श्रीलंका में ली 390+ जान; ग्लोबल वॉर्मिंग से क्यों तेज हो रहे हैं विनाशकारी तूफान?

चक्रवात दित्वाह ने श्रीलंका में 390 से अधिक लोगों की जान ली और 20 साल की सबसे भयानक बाढ़ लेकर आया। अब यह भारत के तमिलनाडु तक पहुँचा, जिससे भारी बारिश और मौतें हुईं। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे तूफान, टाइफून और हरिकेन तेज़ और घातक हो रहे हैं, जो पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है।

Cyclone Ditwah

A man wades through a flooded street, following Cyclone Ditwah in Kelaniya, Sri Lanka, November 30, 2025. REUTERS/Thilina Kaluthotage

Cyclone Ditwah: उत्तर हिंद महासागर साइक्लोन सीज़न का चौथा चक्रवात, ‘दित्वाह’ पूरी दुनिया के लिए एक भयावह चेतावनी बनकर उभरा है। 26 नवंबर को श्रीलंका के तट से टकराने के बाद, इसने 390+ लोगों की जान ले ली और 10 लाख लोगों को प्रभावित करते हुए 20 साल की सबसे भयानक बाढ़ ला दी। यह यमन द्वारा सुझाया गया नाम है। कमजोर होकर भारत के तमिलनाडु तट से गुजरते हुए इसने चेन्नई, तिरुवल्लुर और कांचीपुरम में भारी बारिश जारी रखी, जिससे 3 मौतें हुईं, 83 उड़ानें रद्द हुईं और सड़कें जलमग्न हो गईं। यह घटना दर्शाती है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण तूफ़ान तेज़ी से मज़बूत हो रहे हैं और उनका असर दूर-दराज़ के इलाकों तक पहुँच रहा है। हमें एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन से निपटना होगा।

श्रीलंका से तमिलनाडु तक विनाश का तांडव

Cyclone Ditwah ने पहले श्रीलंका को बुरी तरह प्रभावित किया, जहाँ यह 20 सालों की सबसे भयानक बाढ़ लेकर आया। 10 लाख लोग प्रभावित हुए और 400 से ज़्यादा लापता बताए जा रहे थे, जबकि 390 से अधिक लोगों की जान चली गई। बंगाल की खाड़ी से गुजरते हुए यह भारत के तमिलनाडु तट के पास कमजोर होकर डीप डिप्रेशन में बदल गया, लेकिन चेन्नई, तिरुवल्लुर और कांचीपुरम जैसे इलाकों में इसने भारी बारिश जारी रखी। भारी बारिश को देखते हुए रेड अलर्ट जारी किया गया, जिसके चलते स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए। तमिलनाडु में 3 लोगों की मौत हुई और 149 मवेशी मारे गए।

चक्रवात, टाइफून या हरिकेन: एक ही प्रकार के तूफान

Cyclone Ditwah, तूफान (टाइफून) या हरिकेन सभी ट्रॉपिकल साइक्लोन के नाम से जाने जाते हैं। ये गर्म समुद्री जल पर बनते हैं, जिसके लिए समुद्र का तापमान कम से कम $26^{\circ}\text{C}$ होना आवश्यक है।

  • निर्माण प्रक्रिया: गर्म समुद्री जल ऊपर की हवा को गर्म करता है, जिससे यह ऊपर उठती है और बादल बनाती है। इससे नीचे कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो और हवा को खींचता है।

  • घुमाव: पृथ्वी के घूर्णन (घूमने) के कारण हवा को घुमावदार गति मिलती है।

  • वर्गीकरण: जब हवा की रफ़्तार 119 किमी/घंटा से ज़्यादा हो जाती है, तो इसे क्षेत्र के अनुसार चक्रवात (भारतीय महासागर), टाइफून (पश्चिमी प्रशांत) या हरिकेन (अटलांटिक) कहा जाता है।

जलवायु परिवर्तन का असर: ग्लोबल वॉर्मिंग से समुद्र गर्म हो रहे हैं, जिससे ये तूफान ज्यादा तेज़, अधिक बारिश वाले और लंबे समय तक चलने वाले बन रहे हैं।

दुनिया को चिंता क्यों करनी चाहिए?

ये तूफान सिर्फ तेज हवाओं के खतरे नहीं लाते, बल्कि दुनिया को कई तरह से प्रभावित करते हैं:

  • घातक प्रभाव: भारी बारिश से बाढ़ और भूस्खलन होते हैं (जैसे हरिकेन कैटरीना में 75% मौतें बाढ़ से हुईं)। तूफानी लहरें (स्टॉर्म सर्ज) तटीय इलाकों को तबाह कर देती हैं।

  • आर्थिक और सामाजिक नुकसान: ये तूफ़ान अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान करते हैं, लाखों लोग बेघर हो जाते हैं, और फसलें बर्बाद होने से भुखमरी फैलती है। दित्वाह जैसे तूफ़ानों से उड़ानें रद्द होने पर वैश्विक व्यापार भी प्रभावित होता है।

  • असमान प्रभाव: एशिया-अफ्रीका में गरीब देश सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, जहाँ पुनर्निर्माण कठिन हो जाता है।

पिछले 50 सालों में इन तूफानों ने $7.79$ लाख मौतें और $1.4$ ट्रिलियन डॉलर का नुकसान किया है। 2024-2025 में हरिकेन हेलेन (2024), मिल्टन (2024), और टाइफून यागी (2024) जैसे घातक तूफ़ानों ने साबित किया है कि अब कैटेगरी 4-5 के तूफ़ान दोगुने हो गए हैं और वे तेज़ी से मज़बूत हो रहे हैं।

समाधान: एकजुटता और तैयारी

Cyclone Ditwah जैसा तूफान स्थानीय नहीं, बल्कि एक वैश्विक समस्या है। दुनिया की 40% आबादी तटों पर रहती है और जलवायु परिवर्तन से खतरा लगातार बढ़ रहा है।

समाधान स्पष्ट हैं:

  1. जलवायु परिवर्तन रोकें: कार्बन उत्सर्जन को कम करके ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना सबसे ज़रूरी है।

  2. तैयारी: मजबूत चेतावनी सिस्टम, वनों की रक्षा और बाढ़-रोधी इमारतों का निर्माण करना।

दित्वाह ने दिखाया कि पहले से तैयारी करने से जानें बचाई जा सकती हैं। दुनिया को एकजुट होकर इन तूफानों से लड़ना होगा, अन्यथा भविष्य और भी खतरनाक होगा।

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