Unnao Rape Case Update: सज़ा निलंबन के बाद सेंगर की रिहाई पर सवाल, सर्वाइवर का विरोध, ज़मानत रद्द करने की मांग तेज

उन्नाव रेप केस में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सज़ा निलंबित होने पर विवाद बढ़ गया है। सर्वाइवर ने सुरक्षा को लेकर डर जताया है और ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।

New Turn in Unnao Rape Case:उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए गए पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन की बेंच ने उनकी सज़ा को निलंबित करते हुए ज़मानत दी है। अदालत ने सेंगर को 15 लाख रुपये का निजी मुचलका और उतनी ही राशि के तीन ज़मानतदार पेश करने का आदेश दिया है।

हालांकि, सज़ा निलंबित होने के कुछ ही घंटों बाद इस फैसले के खिलाफ कड़ा विरोध शुरू हो गया। रेप सर्वाइवर, उनकी मां और महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने मंगलवार को इंडिया गेट पर धरना दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वाइवर ने आरोप लगाया कि 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर सेंगर को ज़मानत दी गई है।

सर्वाइवर ने जताया डर और आक्रोश

इंडिया गेट पर बैठे हुए सर्वाइवर ने कहा कि इस फैसले से उन्हें गहरा मानसिक आघात पहुंचा है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। उनका आरोप है कि सेंगर को इसलिए बाहर लाया गया है, ताकि उनकी पत्नी आने वाले चुनाव में उतर सकें।

सर्वाइवर ने यह भी सवाल उठाया कि अगर इतने गंभीर आरोपों वाला व्यक्ति बाहर रहेगा, तो उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी। उन्होंने ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि सेंगर की रिहाई के बाद वह खुद को डरी हुई महसूस कर रही हैं। हालांकि, उन्होंने न्यायपालिका पर भरोसा जताया और कहा कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी।

अदालत ने लगाईं सख्त शर्तें

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट ने ज़मानत के साथ कई कड़ी शर्तें भी लगाई हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि सेंगर ज़मानत की अवधि के दौरान सर्वाइवर जहां भी रहेंगी, उनके पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं आएंगे। इसके अलावा, उन्हें दिल्ली में ही रहना होगा और हर सोमवार पुलिस के सामने हाजिरी लगानी होगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर किसी भी शर्त का उल्लंघन हुआ, तो ज़मानत तुरंत रद्द कर दी जाएगी।

क्या था पूरा मामला

यह मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 66 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले का है। आरोप है कि साल 2017 में 17 वर्षीय नाबालिग लड़की को अगवा कर उसके साथ बलात्कार किया गया। शुरुआत में मामला दबा रहा और सामने आने में लगभग 10 महीने लग गए।

जब पीड़िता के पिता ने न्याय की मांग की, तो उन पर हमला हुआ। बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया, जहां संदिग्ध हालात में उनकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर कई चोटों के निशान पाए गए थे।

लंबी कानूनी लड़ाई और सज़ा

आखिरकार सेंगर के खिलाफ बलात्कार, अपहरण, आपराधिक धमकी और पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई दिल्ली ट्रांसफर कर दी और रोजाना सुनवाई का निर्देश दिया।

दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई थी। अदालत ने यह भी कहा था कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते सेंगर ने जनता के भरोसे को तोड़ा है।

Exit mobile version