डीजीसी साधना शर्मा की हत्या 23 मई 2016 को उस समय हुई थी, जब वह न्यायालय से उझानी जाते हुए कार से कुचल दी गई थीं। हत्याकांड में मुख्य आरोपी पीसी शर्मा, उसकी पत्नी कमलेश शर्मा, गिरीश मिश्रा, श्रद्धा गुप्ता, मस्ताना, नरेंद्र उर्फ पिंटू, राजू उर्फ रियाज, यासीन बाबा, इशरत और मोहब्बत शामिल थे।
ऐसे खुला पुलिस का सारा खेल
हत्याकांड की जांच बरेली क्राइम ब्रांच कर रही थी, और क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सिकंदर खान ने 11 मई 2017 को हत्यारोपी नरेंद्र उर्फ पिंटू को गिरफ्तार किया था। उसके पास से 4600 रुपये बरामद हुए थे, जिसमें 2 हजार रुपये का एक नोट, 500-500 के तीन नोट और 100-100 के 11 नोट शामिल थे। फिर, 7 नवंबर 2023 को विवेचक ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया, जिसमें उझानी पुलिस ने हत्यारोपी से बरामद की गई रकम पेश की। हालांकि, 4600 रुपये पूरी रकम थी, लेकिन नोटों के बदले जाने का खुलासा हुआ। जांच में पाया गया कि 500-500 के 5 नोट, 200-200 के 5 नोट और 100-100 के 11 नोट बरामद हुए थे। विवेचक ने इन नोटों को फर्जी करार दिया और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पेश की।
न्यायालय के सामने पेश की गई रिपोर्ट
रुपये बदलने के मामले में न्यायालय ने उझानी पुलिस से संबंधित रिपोर्ट तलब की थी। 17 नवंबर 2023 को उझानी के इंस्पेक्टर मनोज सिंह न्यायालय में पेश हुए और उन्होंने बयान दिया कि जो नोट बरामद हुए थे, वही पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि रुपये बदलने के लिए विवेचक खुद जिम्मेदार हैं। इसके बाद, विवेचक भी न्यायालय में उपस्थित हुए और उन्होंने बताया कि उझानी पुलिस ने वे नोट पेश किए हैं, जो बरामद होने के समय चलन में नहीं थे, जबकि 200 रुपये के नोट 25 अगस्त 2017 के बाद चलन में आए थे। इसलिए, उस समय जो नोट चलन में थे, वही पेश किए गए थे।