लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। ’अमिताभ बच्चन जी का एक डायलाग है कि मूंछों हो तो नत्थू लाल जैसी…तो प्रशांत जी ने नत्थू लाल जी को चुनौती दे दी है। ये शब्द उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड के हैं, जिन्होंने यूपी के मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार की कार्यशैली की प्रंशसा करने के दौरान कहे थे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनगढ़ ने डीजीपी प्रशांत कुमार की रौबदार मूंछ के साथ ही उनके काम भी तारीफ करते हुए कहा था कि भारत की आने वाली युवा पीढ़ी आपके बारे में इतिहास में जरूर पढ़ेगी और किताबों में तपकर प्रशांत कुमार बनने का सपना देखेगी।
हां देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनगढ़ ने ये बातें कोई हवा-हवाई नहीं की। हां आईपीएस प्रशांत कुमार ऐसे ही अफसर हैं। उनके काम करने के तरीके की प्रशंसा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है। तभी तो लोग सोशल मीडिया पर डीजीपी प्रशांत कुमार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का ‘हनुमान’ भी कहते हैं।ं प्रदेश में माफिया, बाहुबली और अपराधी मिट्टी में मिला दिए गए। अतीक से लेकर मुख्तार अंसारी अब भूले-बिसरे गीत बन गए। अपराध का विकास दुबे अब कहानियों में ही सुना जा रहा। बड़े-बड़े विलेन हाथ जोड़कर पेट पर तख्ती डालकर पुलिस के सामने सरेंडर कर रहे हैं। यूपी में अपराध खत्म हुआ तो विकास फुल स्पीड में दौड़ पड़ा।
ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ चाहते थे कि मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिले। लेकिन केंद्र किसी भी आईपीएस को ज्यादा से ज्यादा 6 माह का ही सेवा विस्तार दे सकती है। अब ऐसे में चर्चा है कि मौजूदा डीजीपी प्रशांत को यूपी में बड़े ओहदे पर बैठाया जा सकता है। सत्ता के गलियारों में आईपीएस प्रशांत कुमारको सीएम योगी आदित्यनाथ का करीबी अफसर माना जाता है। ऐसे में चर्चा ये भी है कि प्रशांत कुमार को राज्य सुरक्षा सलाहकार (State Security Advisor) बनाया जा सकता है। हालांकि राज्य में इस तरह का कोई पद नहीं है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) की तर्ज पर राज्य सुरक्षा सलाहकार का पद सृजित किए जाने की संभावनाओं पर विचार जरूर चल रहा है।
केंद्र सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की तर्ज पर ही राज्य सुरक्षा सलाहकार का भी प्रारूप बनाया जाएगा। राज्य सुरक्षा सलाहकार प्रदेश के अंदरूनी और बाहरी खतरों के साथ ही सभी तरह की खुफिया सूचनाएं सीएम को देंगे। राज्य की सीमाओं की चुनौतियों, आतंकी संगठनों की गतिविधियों, माफिया तंत्र और कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के साथ ही अन्य राज्यों की जांच एजेंसियों से तालमेल बैठाने का काम करेंगे। प्रदेश के संवेदनशील स्थानों और व्यक्तियों की सुरक्षा पर भी नजर रखेंगे। जानकार बताते हैं कि राज्य सलाहकार कें्रद और राज्य सरकार की खूफिया एजेंसियों के साथ तालमेल बैठाने में काम करेगा। साथ ही राज्य के अंदर बैठे जयचंदों को खत्म करने के लिए भी ऑपरेशन की कमान थामेंगा।
दरअसल 31 मई 2025 को यूपी में आईपीएस स्तर से कई सीनियर अधिकारी रिटायर हो रहे हैं। इसमें डीजीपी प्रशांत कुमार समेत कई आईपीएस अधिकारी शामिल है। जिसमें डीजी जेल पी.वी. रामाशास्त्री, डीजी दूरसंचार डॉ. संजय एम. तरडे, एडीजी महिला और बाल सुरक्षा संगठन कंचन यादव, एडीजी सतर्कता डॉ. अरविन्द चतुर्वेदी और एडीजी कार्यपालिका तेज स्वरूप सिंह के सम्मान में विदाई भोज का आयोजन किया गया है। इस पत्र को पुलिस महानिदेशक के जनरल स्टाफ अफसर एडीजी एन रविन्दर की ओर से जारी किया गया है। प्रशांत कुमार, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी हैं और जिनकी सेवानिवृत्ति भी 31 मई को निर्धारित है, उनका नाम इस पत्र में कहीं नहीं है। ऐसे में यह पत्र चर्चा चल रही है कि प्रशांत कुमार को केंद्र सरकार की तरफ से सेवा विस्तार मिल सकता है।
जानकार बताते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि यूपी का अगला डीजीपी जो भी आईपीएस बने, उसका कार्यकाल कम से कम दो वर्ष का होना चाहिए। ऐसे में यूपी को नया डीजीपी मिल सकता है। प्रशांत कुमार को योगी सरकार के भरोसेमंद अधिकारियों में गिना जाता है और उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में नेतृत्व किया है। सूत्र बताते हैं कि सीएम योगी आईपीएस प्रशांत कुमार को बड़े ओहदे पर बैठाने जा रहे हैं। आईपीएस के लिए यूपी में राज्य सुरक्षा सलाहकार का पद सृजन किया जाएगा। रिटायरमेंट के बाद प्रशांत कुमार यूपी के अंदर और बाहर के खतरों से निपटने के मिशन में जुटेंगे। यूपी ही नहीं बल्कि देश में जिस तरह से आईएसआई ने जासूसों की फौज खड़ी की है। ऐसे में राज्य सुरक्षा सलाहकार का पद अहम साबित होगा।
बता दें, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति ने पिछले आठ वर्षों में अपराधियों की कमर तोड़कर रख दी है। इस दौरान एक लाख से अधिक अपराधियों को जेल भेजा गया। जबकि मुठभेड़ में 230 क्रिमिनलों को यमलोक भेजा गया। इतना ही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर मिशन शक्ति फेज-5 के तहत प्रदेशभर में ‘दस का दम’ नामक विशेष ऑपरेशन चलाए गए। इसमें ऑपरेशन गरुड़, ईगल, मजनू, रक्षा, बचपन, खोज, शील्ड, डेस्ट्राय, नशा मुक्ति और त्रिनेत्र आदि शामिल हैं। इन ऑपरेशन के जरिए यूपी पुलिस ने महिलाओं, बेटियों, बच्चों, युवाओं और समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की है। वहीं, ऑपरेशन त्रिनेत्र ने जघन्य अपराधों का खुलासा कर अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेला है।
ये आरे ऑपरेशन आईपीएस प्रशांत कुमार के नेतृत्व में चलाए गए। बतौर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजीपी के पद पर रहते हुए प्रशांत कुमार ने अपराध-अपराधियों की कमर तोड़कर रख दी। ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत प्रदेश भर में संवेदनशील स्थानों को चिह्नित किया गया। इसके बाद प्रदेश भर में 11,07,782 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। सीसीटीवी थानों से जोड़े गए, ताकि कैमरा कंट्रोल रूम्स से घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। इसी का नतीजा है कि डकैती, लूट समेत कुल 5,718 जघन्य अपराधों का सफल खुलासा किया गया। इतना ही नहीं पुलिस ने कोर्ट में शानदार पैरवी की और आरोपियों को सजा भी दिलवाई। सजा दिलवाने में यूपी पुलिस दूसरे अन्य राज्यों से आगे रही।