ठंड + प्रदूषण की मार, दोहरी चुनौती से कैसे निकलें सरकार?

उत्तरी भारत की ठिठुरन के बीच उत्तर प्रदेश के बड़े शहर इस समय ठंड और जहरीली हवा की दोहरी मार झेल रहे हैं। वायु गुणवत्ता लगातार ‘बहुत खराब’ से ‘खतरनाक’ स्तर के बीच झूल रही है।

उत्तरी भारत की ठिठुरन के बीच उत्तर प्रदेश के बड़े शहर इस समय ठंड और जहरीली हवा की दोहरी मार झेल रहे हैं। दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता लगातार ‘बहुत खराब’ से ‘खतरनाक’ स्तर के बीच झूल रही है, जबकि राजधानी लखनऊ में भी हवा सांस के लिए असुरक्षित श्रेणी में पहुंच चुकी है।​

NCR बेल्ट: ठंड के साथ घना ज़हर

ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक गाजियाबाद का AQI 300 से ऊपर ‘Hazardous’ श्रेणी में दर्ज किया गया है, जहां PM2.5 और PM10 का स्तर सामान्य मानकों से कई गुना ज़्यादा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी कई दिनों से AQI 250–330 के आसपास ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है; सेक्टर 1 और 116 जैसे इलाकों में 300 से ऊपर के मान दर्ज हुए हैं। सर्दी के कारण हवा की रफ्तार कम और तापमान नीचे रहने से धूल–धुआं जमीन के पास ही अटका हुआ है, जिससे सुबह–शाम घनी धुंध और स्मॉग की परत दिखाई दे रही है।​

मौसम विभाग के अनुसार न्यूनतम तापमान 8–10 डिग्री सेल्सियस के बीच है, हवा में नमी और पच्छिमी ठंडी हवाएं गलन बढ़ा रही हैं, जबकि बारिश या तेज़ हवा नहीं होने से प्रदूषक कणों का फैलाव नहीं हो पा रहा। इसका सबसे ज़्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और सांस–दिल के मरीजों पर पड़ रहा है, जिन्हें डॉक्टरों ने विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी है।​

लखनऊ भी ‘खतरनाक’ श्रेणी में

राजधानी लखनऊ में भी हालात बेहतर नहीं हैं। रीयल–टाइम डेटा के मुताबिक शहर का AQI 330 के आसपास ‘Hazardous’ ज़ोन में दर्ज हुआ है, मुख्य प्रदूषक PM2.5 और PM10 हैं। पिछले एक हफ्ते में कई दिनों पर 250–320 के बीच AQI दर्ज हुआ और 6–7 दिसंबर की रात में तो कुछ स्टेशनों पर 600 से ऊपर तक की रीडिंग रिकॉर्ड हुई, जो अत्यंत गंभीर मानी जाती है।​

इसी दौरान लखनऊ का न्यूनतम तापमान 9–11 डिग्री और अधिकतम 24–26 डिग्री के आसपास रहा है, सुबह के समय धुंध/कोहरा और दिन में हल्की धूप के बावजूद हवा में मौजूद महीन कणों से आंखों में जलन, गले में खराश और खांसी–दमा के केस बढ़े हैं।​

लोगों के लिए सावधानियां और सरकार की चुनौती

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि

सुबह–शाम खुले में व्यायाम या वॉक से बचें,

N95 या समकक्ष मास्क का इस्तेमाल करें,

घरों में वेंटिलेशन रखते हुए धूल से बचाव पर ध्यान दें,

बच्चे, गर्भवती महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक संभव हो तो घर के अंदर ही रहें।​

सरकार और स्थानीय प्रशासन के सामने चुनौती दोहरी है: एक तरफ ठंड से राहत के लिए अलाव, हीटर और डीज़ल जनरेटर का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो खुद प्रदूषण में इजाफा करते हैं; दूसरी ओर वाहनों, कंस्ट्रक्शन और औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्ती के बिना वायु गुणवत्ता में ठोस सुधार मुश्किल दिख रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि दीर्घकालिक रूप से स्वच्छ ईंधन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, हरित कवर और औद्योगिक मानकों पर कड़ाई ही इस “ठंड+प्रदूषण” की वार्षिक मार को कम कर सकते हैं।

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