Madhuban Bapudham Yojana: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की महत्वाकांक्षी मधुबन बापूधाम योजना एक बार फिर किसानों के कड़े विरोध के कारण सुर्खियों में है। जीडीए ने भले ही भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों को विकसित प्लॉट आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन किसान इस कार्रवाई से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और उनका आंदोलन जारी है। उनका स्पष्ट कहना है कि आवंटन पत्र मिलने के बावजूद उनकी मुख्य मांगें अधूरी हैं। किसान अपनी हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं हैं, जिससे इस आवासीय परियोजना के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है।
किसानों की प्रमुख मांग है कि उन्हें 6 फीसदी विकसित प्लॉट के साथ-साथ एकसमान और न्यायसंगत मुआवजा दिया जाए, और आवंटित भूखंडों की रजिस्ट्री पूरी तरह से मुफ्त हो। किसानों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे विरोध जारी रखेंगे और साइट पर काम नहीं होने देंगे।
किसानों की हड़ताल जारी, मुआवजे और मुफ्त रजिस्ट्री की मांग पर अड़े
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जीडीए की महत्वाकांक्षी Madhuban Bapudham Yojana के किसान एक बार फिर से मुखर हो गए हैं। भले ही जीडीए ने मुआवजे के बदले किसानों को विकसित प्लॉट आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन किसान इस आवंटन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं, उनका आंदोलन और तेज हो गया है। किसानों ने कहा कि उनकी मुख्य मांगें अभी भी अधूरी हैं, जिस कारण वे आवंटन पत्र मिलने के बाद भी अपनी हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।
किसानों की इस बढ़ती नाराजगी ने एक बार फिर से इस आवासीय परियोजना के भविष्य पर प्रश्न चिह लगा दिया है। जीडीए ने आवंटन पत्र जारी करके किसानों को शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन किसानों ने इसे नाकाफी बताते हुए अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे डटे रहेंगे और जीडीए को साइट पर काम नहीं करने देंगे।
‘वह नहीं मिला, जिसके हम हकदार’
Madhuban Bapudham Yojana के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक मजबूत रुख अपनाया है। उनका कहना है कि लंबे समय से संघर्ष के बाद भी उन्हें वह नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं। किसानों की सबसे बड़ी मांग यह है कि उन्हें जमीन के बदले 6 फीसदी विकसित प्लॉट देने के साथ-साथ एकसमान और न्यायसंगत मुआवजा दिया जाए। उनका तर्क है कि सभी किसानों को उनकी अधिग्रहित जमीन के अनुपात में एक जैसा मुआवजा मिलना चाहिए।
किसानों की दूसरी बड़ी मांग यह है कि जीडीए द्वारा आवंटित भूखंडों की रजिस्ट्री पूरी तरह से मुफ्त होनी चाहिए। उनका कहना है कि जमीन पहले ही कम मुआवजे पर अधिग्रहित की गई है, और अब उन्हें अपने ही प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए भारी शुल्क नहीं देना चाहिए।



