Ghazipur: गाजीपुर की सड़कों पर गुरुवार शाम एक अलग ही नजारा देखने को मिला। सफेद कोट पहने डॉक्टर इस बार मरीजों की नहीं, बल्कि न्याय की पुकार लेकर निकले। हाथों में मोमबत्तियां और आंखों में आक्रोश, गोपीनाथ हॉस्पिटल और कॉलेज के चिकित्सकों ने कोलकाता में हुई अपनी सहकर्मी की दर्दनाक मौत पर सवाल उठाए। “डॉक्टर बचाते हैं जान, पर कौन बचाएगा डॉक्टरों की जान?” – यह सवाल हर किसी के जेहन में गूंज रहा था। आइए जानते हैं इस विरोध मार्च की पूरी कहानी, जो सिर्फ एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा का सवाल बन गया है।
Ghazipur में गोपीनाथ कॉलेज और गोपीनाथ हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों ने बहादुरगंज, कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए कथित बलात्कार और हत्या के विरोध में कैंडल मार्च निकाला। यह मार्च बहादुरगंज स्थित पुरानी गंज शिशु मंदिर से शुरू होकर चंडिका स्थान तक गया।
न्याय की मांग और सुरक्षा की चिंता
गोपीनाथ विद्या ट्रस्ट के बैनर तले आयोजित इस मार्च में प्रतिभागियों ने निम्नलिखित मांगें रखीं:
- आरोपियों के लिए मृत्युदंड
- शीघ्र न्याय
- पीड़िता को शहीद का दर्जा
ट्रस्ट के चेयरमैन राकेश तिवारी ने कहा, “मृत्युदंड और त्वरित न्याय ही बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने का एकमात्र उपाय है।”
चिकित्सा समुदाय की प्रतिक्रिया
डॉ. सुधा त्रिपाठी ने इस घटना को मानवता के खिलाफ अपराध बताया। उन्होंने कहा, “इस मामले में एक रेजिडेंट डॉक्टर के साथ उसके कार्यस्थल पर बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।”
डॉ. अश्विनी (एम.डी. मेडिसिन) ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि इससे पूरा देश शर्मसार है। उन्होंने ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
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छात्राओं की चिंताएं
मार्च में शामिल छात्राओं ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “क्या हम रात में सुरक्षित हैं? क्या हम अपने माता-पिता को चिंता में डाले बिना रात में सुरक्षित घूम सकते हैं?”
प्रमुख उपस्थिति
इस कार्यक्रम में गोपीनाथ हॉस्पिटल के निदेशक शुभम यादव, शिवम त्रिपाठी समेत गोपीनाथ हॉस्पिटल व कॉलेज के समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।
इस कैंडल मार्च ने न केवल एक त्रासद घटना पर प्रकाश डाला, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।