सपा विधायक सुधाकर सिंह का निधन: घोसी उपचुनाव के हीरो ने मेदांता में ली अंतिम सांस

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह का निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार थे और लखनऊ के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली।

Sudhakar Singh death

Sudhakar Singh death: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और घोसी से विधायक सुधाकर सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। 60 वर्ष के सिंह का लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। दो दिन पहले सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर मिलते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव तुरंत मेदांता अस्पताल पहुंचे और शोकाकुल परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त की।

सुधाकर सिंह 2023 के घोसी उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 50 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराकर सुर्खियों में आए थे, जिससे उन्होंने प्रदेश की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ साबित की थी। उनकी बेबाकी और जनता के बीच गहरी पैठ उन्हें एक कद्दावर नेता बनाती थी।

सपा के क़द्दावर नेता थे सुधाकर सिंह

सुधाकर सिंह समाजवादी पार्टी के उन नेताओं में से थे जिनकी सियासी ज़मीन पर अच्छी खासी पकड़ मानी जाती थी। उन्होंने 1996 में नत्थुपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। बाद में यह सीट 2012 में घोसी के नाम से जानी जाने लगी और उस वर्ष भी सुधाकर सिंह ने जीत हासिल की।

हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें मोदी लहर में हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में सपा द्वारा उनका टिकट काटे जाने के बाद उन्होंने पार्टी का खुलकर विरोध भी किया था, लेकिन 2023 में घोसी उपचुनाव ने उनके राजनीतिक जीवन में एक नया मोड़ ला दिया।

घोसी उपचुनाव में जीत से आए थे सुर्खियों में

साल 2023 में घोसी विधानसभा सीट खाली होने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर सुधाकर सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें उपचुनाव में पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया। सुधाकर सिंह ने अखिलेश यादव के इस भरोसे को कायम रखा और भाजपा के कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान को 50,000 से अधिक वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी। इस जीत ने न केवल उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया, बल्कि बीजेपी के सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया था, जिससे उनकी हाजिर जवाबी और जनता के बीच उनकी गहरी पैठ एक बार फिर साबित हुई।

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