गोरखपुर में ‘उल्टी गंगा’: चपरासी चला रहा साहब का दफ्तर, करोड़ों का मीटर खेल उजागर

गोरखपुर बिजली विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (चपरासी) द्वारा सहायक अभियंता की आईडी का उपयोग कर स्मार्ट मीटर की क्यूसी-3 रिपोर्ट पास करने का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पूर्व में तीन अधिकारियों के निलंबन के बावजूद यह खेल बदस्तूर जारी है।

Gorakhpur

Gorakhpur Electricity Department Smart Meter Scam: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बिजली परीक्षण खंड प्रथम में एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहाँ नियमों को ताक पर रखकर एक चपरासी अधिकारी की भूमिका निभा रहा है। यह कर्मचारी सहायक अभियंता (एई-मीटर) की लॉगिन आईडी और पासवर्ड का उपयोग कर स्मार्ट मीटरों की पेंडिंग क्यूसी-3 (Quality Check 3) रिपोर्ट को स्वीकृत कर रहा था। गौर करने वाली बात यह है कि इसी तरह के आईडी दुरुपयोग मामले में पहले भी तीन अधिशासी अभियंताओं को निलंबित किया जा चुका है, फिर भी विभाग में कोई सुधार नहीं दिखा। अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका इसलिए भी प्रबल है क्योंकि मीटरों की सीलिंग रिपोर्ट और डेटा सत्यापन जैसे तकनीकी कार्य बिना उच्चाधिकारियों की मूक सहमति के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा किया जाना संभव नहीं है।

अधिकारियों की आईडी और चपरासी का ‘राज’

Gorakhpur बिजली निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि तकनीकी जाँच और बिलिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य अब चपरासी स्तर के कर्मचारी संभाल रहे हैं।

कैसे होता है यह खेल?

  • स्मार्ट मीटर प्रक्रिया: कार्यदायी संस्था ‘जीनस पॉवर’ पुराने मीटर हटाकर नए स्मार्ट मीटर लगाती है और सीलिंग रिपोर्ट जमा करती है।

  • QC-3 रिपोर्ट का महत्व: यदि पुराने मीटर की रीडिंग में गड़बड़ी या ‘नो डिस्प्ले’ की समस्या होती है, तो अभियंता उसकी जाँच कर डाटा निकालते हैं और QC-3 रिपोर्ट लगाते हैं। इसके बाद ही उपभोक्ता की सही बिलिंग शुरू होती है।

  • फर्जीवाड़ा: चपरासी द्वारा आईडी का उपयोग कर बिना उचित जाँच के ही इन रिपोर्टों को स्वीकृत किया जा रहा है, जिससे विभाग और उपभोक्ता दोनों को वित्तीय नुकसान होने की संभावना है।

पुराने मामलों से नहीं लिया सबक

हाल ही में इसी तरह के मामले में अधिशासी अभियंताओं ने ‘आईडी हैक’ होने का दावा किया था, जिसे जाँच में खारिज कर दिया गया। स्पष्ट है कि Gorakhpur अधिकारियों ने अपनी सुविधा या मिलीभगत के चलते खुद कर्मचारियों को अपने गोपनीय पासवर्ड दे रखे हैं।

अधिकारियों का पक्ष

इस गंभीर लापरवाही पर ग्रामीण प्रथम के अधीक्षण अभियंता के.के. राठौर का कहना है कि उन्हें वर्तमान मामले की जानकारी नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि मामले की जाँच कर विभाग के हित में सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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