Guddu Muslim escape to Dubai: प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में वांछित कुख्यात अपराधी गुड्डू मुस्लिम ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर दुबई में शरण ली है। नकली पासपोर्ट का इस्तेमाल कर कोलकाता हवाई अड्डे से फरार हुए इस अपराधी ने अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन और सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर खामियों को उजागर किया है। संगठित अपराध और गवाह सुरक्षा के बीच संतुलन की विफलता इस मामले को और गंभीर बनाती है।
गुड्डू मुस्लिम का नाम 24 जनवरी 2023 को प्रयागराज में हुए उमेश पाल और उनके दो अंगरक्षकों की दिनदहाड़े हत्या में सामने आया। उमेश पाल, जो राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे, उनकी हत्या अतीक अहमद के गिरोह द्वारा रची गई एक साजिश थी। गुड्डू मुस्लिम, जो “गुड्डू शूटर” के नाम से कुख्यात है, अतीक का विश्वसनीय साथी और बम बनाने का विशेषज्ञ माना जाता है। इस जघन्य घटना ने न केवल प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि संगठित अपराध के खतरे को भी उजागर किया।
6 दिसंबर 2024 को, गुड्डू मुस्लिम ने सैयद वसीमुद्दीन नाम की फर्जी पहचान के साथ एक नकली पासपोर्ट का उपयोग कर दुबई की फ्लाइट पकड़ी। कोलकाता हवाई अड्डे पर सुरक्षा चूक के कारण, वह लुकआउट सर्कुलर और यात्रा प्रतिबंधों को दरकिनार करने में कामयाब रहा। यह घटना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और हवाईअड्डे की निगरानी प्रणालियों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करती है। उसके इस पलायन ने यह भी दिखाया कि संगठित अपराधी अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए कैसे मजबूत नेटवर्क और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करते हैं।
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Guddu Muslim के दुबई भागने की पुष्टि के बाद, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने उत्तर प्रदेश पुलिस को जानकारी साझा की। पहले से भगोड़ा घोषित किए गए इस अपराधी पर ₹5 लाख का इनाम भी रखा गया है। भागने के बाद, उसकी गिरफ्तारी के लिए नए सिरे से अभियान चलाए जा रहे हैं। इस घटना के अंतरराष्ट्रीय आयाम भी हैं, क्योंकि फर्जी पासपोर्ट के इस्तेमाल ने इंटरपोल और भारत-यूएई के बीच प्रत्यर्पण और सुरक्षा सहयोग को लेकर चर्चाओं को जन्म दिया है।
गुड्डू मुस्लिम के भागने से जनता और राजनीतिक हलकों में आक्रोश है। गवाह सुरक्षा की खामियों और अपराधियों की बढ़ती ताकत को लेकर सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार देते हुए सरकार की आलोचना की है। यह घटना सुरक्षा प्रोटोकॉल और संगठित अपराध के खिलाफ व्यापक रणनीतियों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर देती है।