(मोहसिन खान) नोएडा डेस्क। महाकुंभ में वो चेहरा ता आपको याद होगा जो रातों रात सुर्खियों में आ गया सोशल मीडिया पर ऐसी वायरल हुई कि चर्चाओं मे आ गई यूं तो पेशे से वो एंकर और मॉडल रही लेकिन बावजूद इसके गुमनामी के अंधेरे में रही अध्यात्म और धर्म की राह पकड़ी तो मशहूर हो गई। जी हां हम बात कर रहे है प्रयागराज महाकुंभ से चर्चा में (Harsha Richhariya) आई हर्षा रिछारिया की। हर्षा अब सनातनी वर्षा करने के लिए निकल रही है।
भगवा कपड़े और लंबी जटाएं रखकर साध्वी के रूप में महाकुंभ के बाद ये ही हर्षा अलग अलग मंदिरों में दर्शन-पूजन कर रही है उत्तराखंड में केदारनाथ के दर्शन किए, फिर उज्जैन में महाकाल, अयोध्या राम मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ सहित 10 से ज्यादा मंदिरों में पूजा, दिल्ली में नरसिंह हनुमान मंदिर, संभल में कल्कि धाम, खेड़ापति हनुमान मंदिर, छोला धाम भोपाल, आनंदेश्वर मंदिर भोपाल, श्री वीर अलीजा हनुमान मंदिर भोपाल में दर्शन-पूजन किया।
अब हर्षा रिछारिया ने वृंदावन से संभल तक के लिए पदयात्रा शुरू कर दी है, हर्षा ने 14 अप्रैल को श्री राम मंदिर आश्रम अटला चुंगी वृंदावन से यात्रा की शुरूआत की है यहां से वो अलीगढ़ और बुलन्दशहर होते हुए संभल पहुंचेगी। 7 दिन में 175 किमी की पदयात्रा का समापन 21 अप्रैल को संभल में होगा।
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हर्षा की पदयात्रा में आगे संदेशों को लेकर एक रथ चलेगा पहला संदेश-आदरणीय बंधुओं, बाबा साहेब अंबेडकर जयंती को वृंदावन से हिंदू जोड़ो पदयात्रा शुरू कर रहे हैं। इसका उद्देश्य सनातन धर्म से विमुक्त हो चुके युवक-युवतियों को वापस अपने धर्म में लाना। जबकि दूसरा संदेश-चलो जोड़ें इतिहास के पन्ने में अपना नाम कि हम जवानों ने भी कदम बढ़ाया था, अपने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में, हमने भी अपना फर्ज निभाया था।
बताया जा रहा है कि पदयात्रा 200 लोगो के साथ शुरू होगी और फिर उसके बाद उसमें लोग जुड़ते चले जाएंगे। अब सवाल था कि आखिर इसका मकसद क्या केवल भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को जोड़ना है या कुछ और। हर्षा ने कहा- वैसे तो हमारे संत सनातन (Harsha Richhariya) के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं लेकिन अभी भी धार्मिक और इस तरह के कार्यक्रम की जरूरत है। इसके लिए वह युवाओं को जोड़ेंगी।
14 अप्रैल को वृंदावन से शुरू हो रही हर्षा रिछारिया (Harsha Richhariya) यह पदयात्रा सर्वांगीण समाज उत्थान समिति के तहत निकाल रही हैं। वहीं संभल में पदयात्रा के समापन के पीछे वजह ये है कि जिस तरह से मथुरा-वृंदावन का जिक्र आता है तो इसको भगवान विष्णु के अष्ट अवतार की भूमि कहा जाता है। इसी तरह से कलयुग में भगवान का 10वां अवतार कल्कि संभल में होगा तो पदयात्रा का आखिरी पड़ाव संभल होगा।