GHAZIABAD : गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के विवादास्पद मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद को इस्लाम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के आरोप में 5 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की खबर के लगभग तीन सप्ताह बाद, पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने स्पष्ट किया कि नरसिंहानंद को गाजियाबाद पुलिस ने नहीं लिया था।
इस घटना की शुरुआत एक चार मिनट के वीडियो क्लिप से हुई, जिसमें नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते नजर आ रहे हैं कि उन्हें ‘उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई असंवैधानिक और अवैध नजरबंदी’ से मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें ‘जंगली और प्रशिक्षित नाबालिग हत्यारों’ द्वारा मारे जाने का खतरा है। नरसिंहानंद का यह दावा, जिसमें उन्होंने अपनी मौत से पहले अपना पक्ष रखने की इच्छा व्यक्त की, उत्तर प्रदेश की सियासत और प्रशासनिक तंत्र में भूचाल ला सकता है।
यति नरसिंहानंद का विवाद और उसकेयति नरसिंहानंद परिणाम
यति नरसिंहानंद के खिलाफ विवाद तब शुरू हुआ जब उन्होंने 29 सितंबर को गाजियाबाद में इस्लाम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। गाजियाबाद पुलिस ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
अजय कुमार मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है, तो उसकी व्यक्तिगत चीजें, जैसे घड़ी और सेलफोन, सब कुछ उनसे ले लिया जाता है। उन्होंने नरसिंहानंद के वीडियो पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह यह नहीं बता रहे हैं कि किस जिले की पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और उनके पास वीडियो शूट करने के लिए सेलफोन कैसे पहुंचा।
न्याय की तलाश
नरसिंहानंद ने वीडियो में कहा कि मुंबई स्थित हजरत गरीब नवाज वेलफेयर ट्रस्ट के सचिव मोहम्मद यूसुफ और उनके सहयोगियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। उन्होंने कहा, “मैं न्याय के पक्ष में हूं। मैं जो कुछ भी कहा है, उसका सबूत इकट्ठा करना चाहता हूँ और उसे अदालत में पेश करना चाहता हूँ।”
उनका कहना है कि वह अपनी मौत से पहले अपना पक्ष रखना चाहते हैं और यदि उन्हें नजरबंदी से नहीं बचाया गया तो उनके जीवन को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा, “मैं यह साबित करना चाहता हूँ कि इस्लाम और उसके अनुयायियों ने न केवल सनातन धर्म, बल्कि पूरी मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं।”
नरसिंहानंद ने इस स्थिति में न्याय की गुहार लगाई है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के सामने अपने सबूत पेश करना चाहते हैं। उनका यह मामला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है, जिसने कई लोगों को प्रभावित किया है।