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विधान परिषद उपचुनाव में भाजपा के साथ ही सपा ने भी ठोकी ताल

विधान परिषद उपचुनाव में भाजपा के साथ ही सपा ने भी ठोकी ताल

यूपी विधान परिषद में 2 सीटों के लिए उपचुनाव होने जा रहा है। इन दोनों सीटों के मतदान के लिए अलग-अलग सभी विधायक मतदान करेंगे। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ज्यादा मजबूत स्थिति में है..

यूपी विधान परिषद में 2 सीटों के लिए उपचुनाव होने जा रहा है। इन दोनों सीटों के मतदान के लिए अलग-अलग सभी विधायक मतदान करेंगे। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ज्यादा मजबूत स्थिति में है। लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब चुनाव होगा मतलब साफ है कि समाजवादी पार्टी ने निर्विरोध चुनाव को जरूर रोक दिया है। यूपी में एमएलसी की 2 सीटों के लिए बीजेपी और सपा के बीच मुकाबला होगा हालाकिं संख्या बल के आधार पर भारतीय जनता पार्टी दोनों सीटें जीत रही थी।

समाजवादी पार्टी ने चुनाव में उतारें उम्मीदवार

जिस वजह से माना जा रहा था कि कोई भी विपक्षी दल प्रत्याशी नहीं होता रहेगा और आज यानी गुरुवार को नामांकन का अंतिम दिन होने के कारण समाजवादी पार्टी ने भी आनन-फानन में फैसला कर उम्मीदवार उतार दिए। जिसके बाद दोनों दलों के प्रत्याशी अब मैदान में है यूपी विधान परिषद उपचुनाव मैं बीजेपी ने पदम सिंह चौधरी और मानवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। जैसे आप चुनाव निर्विरोध होने के बजाय मतदान के जरिए होगा। वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से भी रामजतन राजभर और रामकरण निर्मल को प्रत्याशी घोषित कर आनन-फानन में नामांकन भी करवा दिया हालाकिं इस दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव उपस्थित नहीं रहे। लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम सहित कई पार्टी नेता मौजूद रहे समाजवादी पार्टी ने पूर्व एमएलसी रामजतन राजभर को प्रत्याशी बनाकर पूर्वांचल मैं पिछड़े वर्ग में शामिल राजभर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। वहीं रामकरण निर्माण एससी कैटेगरी से आते हैं।

सपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी

जिनके जरिए समाजवादी पार्टी एक संदेश जरूर देने की कोशिश कर रही है।संख्या बल के आधार पर भारतीय जनता पार्टी मजबूत स्थिति में है सपा के इस फैसले के बाद दोनों सीटों के लिए अलग-अलग सभी विधायक मतदान में शामिल होंगे हालांकि इसका कारण दोनों सीटों का अलग-अलग नोटिफिकेशन होना बताया जा रहा है अब ऐसे में साफ है कि बीजेपी सदन में ज्यादा मजबूत स्थिति में है लेकिन समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायकों का वोट पाने में वह कामयाब रहेगी। लेकिन अगर हम राजनीतिक और सदन के संख्या बल के आधार पर देखें तो यह समाजवादी पार्टी के लिए काफी मुश्किल है हालांकि विपक्ष के अन्य दलों के वोट सपा को मिलेंगे या नहीं यह भी अभी साफ नहीं है और बीजेपी के खेमे में सेंधमारी करना सपा के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा है। निकाय चुनाव में मिली जीत से बीजेपी काफी उत्साहित है। तो वहीं सपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है।

निकाय चुनाव में भी समाजवादी पार्टी का स्थान

वैसे राजनीतिक हिसाब से देखें तो सपा की कोशिश यही है। कि बीजेपी आसानी से दोनों सीटें ना पाने पाए इसी वजह से समाजवादी पार्टी ने संख्या बल कम होने के बावजूद भी प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। जिससे कि जनता के बीच एक संदेश जाए ताकि बीजेपी को टक्कर देने के लिए सपा हर वक्त आगे खड़ी रहती है। निकाय चुनाव में भी समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही है। यह संदेश मेंटेन करने के लिए समाजवादी पार्टी लगातार जद्दोजहद कर रही है।

बीएसपी और जनता दल लोकतांत्रिक के कुल सदस्य

विधान परिषद की दोनों सीटें एमएलसी लक्ष्मण आचार्य के इस्तीफे और बनवारीलाल दोहरे के निधन से रिक्त हुई थी। भाजपा और सपा के प्रत्याशियों के बाद अब प्रत्येक सीट पर दोनों प्रत्याशी हो गए हैं। वहीं प्रत्येक सीट के लिए विधानसभा के सभी 403 सदस्य अपना वोट करेंगे इस तरह एक सीट पर 2 प्रत्याशी और 403 मतदाता होंगे। यूपी विधानसभा में क्रम संख्या बल की बात करें तो सत्ताधारी दल बीजेपी के पास 274 समाजवादी पार्टी के पास 118 सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास है। बीएसपी के पास एक कांग्रेसी और जनता दल लोकतांत्रिक के पास दो-दो सदस्य हैं। ऐसे में विपक्ष के साथ मिलने के बाद भी सपा उम्मीदवार जीत हासिल करने की स्थिति में नहीं है।

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