Pilibhit BJP: पीलीभीत में भाजपा अटकी, नेता दे रहे आत्मदाह की धमकी, वजह कर देगी हैरान

पीलीभीत में भाजपा के अंदरूनी संघर्ष ने सियासी हलचल मचा दी है। जिलाध्यक्ष पद के लिए 28 नेताओं के आवेदन और आत्मदाह की धमकियों के बीच पार्टी में गहरी खींचतान जारी है।

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Pilibhit BJP: पीलीभीत में भगवा राजनीति में छोटे-बड़े नेताओं में रस्साकसी की जैसी कहानी मेनका गांधी-वरुण गांधी के समय में सुनी-सुनाई जाती थी, तराई में भाजपा के अंदर वैसा ही शोर फिर उठता देखा जा रहा है। पीलीभीत में पार्टी के अंदर बाहरी नेताओं की बल्ले-बल्ले के आरोप लगाकर पुराने भाजपाई पद की खातिर आत्मदाह की धमकियां तक दे रहे हैं। न्यूज 1 इंडिया से बातचीत में पीलीभीत के एक नेता ने खुलकर अपनी भड़ास निकाली है। पार्टी में तनातनी के हालात कुछ ऐसे हैं कि पूर्व में यहां जिलाध्यक्ष और विधायक समर्थकों में जूतम-पैजार तक होती देखी गई है। पीलीभीत से सांसद राजा साहब के नाम से पहचाने जाने वाले जितिन प्रसाद हैं जो डबल इंजन सरकार में केन्द्र में मंत्रालय संभाल रहे हैं तो पीलीभीत शहर विधायक संजय सिंह गंगवार राज्य में मंत्री की कुर्सी पर विराज रहे हैं।

पूरे रुहेलखंड में Pilibhit ही इकलौता जिला ऐसा है, जहां 100 फीसदी सियासी पदों पर भाजपा का कब्जा है। यहां चार के चार विधायक, सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख, गन्ना सोसाइटी चेयरमैन सब भाजपा के पास हैं, लेकिन सिरमौर नेताओं के बीच आपस में तालमेल का गणित ऐसा गड़बड़ाया हुआ है कि जिलाध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। सांगठनिक परीक्षा में बरेली मंडल के बाकी तीन जिले पास हो गए हैं, लेकिन नेताओं के आपसी खींचतान ने पीलीभीत की गाड़ी अटकाकर रख दी है।

Pilibhit में भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए रिकार्ड 28 नेताओं ने आवेदन कर रखा है। क्षत्रिय समाज से आने वाले संजीव प्रताप सिंह पीलीभीत भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में अपने दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, ऐसे में इस बार नए चेहरे को अध्यक्ष बनाए जाना है, लेकिन यहां के नेताओं की अपनी-अपनी जिद ने हाईकमान की सिरदर्दी बढ़ा रखी है। पीलीभीत भाजपा के तूफान का अंदाजा सिर्फ इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां के नेता अनदेखी के आरोप लगाकर आत्मदाह की धमकियां तक देते नजर आ रहे हैं। पार्टी में अनदेखी के आरोप लगाकर आत्मदाह की धमकी दे चुके दलित नेता शरदपाल सिंह ने न्यूज 1 इंडिया के साथ बातचीत में अपनी पीड़ा खुलकर बयां की है।

भाजपा के ये वही पूर्व Pilibhit मंडल अध्यक्ष शरद पाल सिंह है, जिन्होंने पिछले पार्टी में निष्ठावान नेताओं की अनदेखी और सपा-बसपा से आए लोगों को पद बांटने के के आरोप लगाकर आत्मदाह की धमकी दी थी। शरदपाल सिंह ने पत्र लिखकर कहा था कि वे 1988 से पूरी ईमानदारी और वफादारी से पार्टी की सेवा कर रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें आज तक कोई अच्छा पद नहीं दिया गया। जबकि दूसरी पार्टियों से आए हुए लोगों को अच्छे पदों पर बिठाने का काम किया गया। जल्द ही उनको सम्मानजनक ओहदा नहीं मिला तो वह लखनऊ में विधानसभी के सामने आत्मदाह कर लेंगे। शरद पाल की धमकी ने पीलीभीत भाजपा में भूचाल ला दिया था। उस समय सीनियर नेताओं ने घर जाकर जल्द ही प्रमोशन का भरोसा दिया था और जैसे-तैसे उनको मना लिया था, लेकिन इस एपिसोड से पीलीभीत की भाजपाई कहानी को बखूबी समझा जा सकता है।

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Pilibhit में भाजपाइयों की रार-तकरार जूतम-पैजार के रूप में भी पहले सामने आ चुकी है। लोकसभा चुनाव से पहले पीलीभीत में एक विधायक और भाजपा जिलाध्यक्ष समर्थकों में जमकर मारपीट हुई थी, जिसके वीडियो विपक्षी दलों ने जमकर सोशल मीडिया पर वायरल किए थे।

पीलीभीत के भाजपाइयों को उम्मीद थी कि जल्द ही नया जिलाध्यक्ष बनने के बाद पार्टी संगठन में भागीदारी का मौका जल्द मिलेगा, लेकिन सांसद, विधायक की खींचतान ने नेताओं का वह खेल भी बिगाड़ दिया है। पीलीभीत की जनता लंबे समय से आंख मूंदकर भाजपा पर भरोसा करती आ रही है। सांसद, विधायक, एमएलसी, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख सभी पदों पर भाजपा का कब्जा है। केन्द्र और राज्य सरकार में पीलीभीत से सांसद जितिन प्रसाद और विधायक संजय गंगवार के रूप में हिस्सेदारी भी मिली हुई है, इसके बाद भी तराई के इस अभेद्य भगवा गढ़ में भाजपाई कैंप की लय-ताल बिगड़ी नजर आ रही है।

Pilibhit की जनता और कार्यकर्ताओं की पीड़ा का आंकलन सिर्फ इस बात से भी समझा जा सकता है कि जितिन प्रसाद को यहां से सांसद-मंत्री बने एक साल समय होने जा रहा है, लेकिन वह अभी तक पब्लिक से मेल-मुलाकात को अपना एक अदद कार्यालय तक नहीं खोल सके हैं।

Pilibhit में मौजूदा भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह क्षत्रिय समाज से आते हैं। दो कार्यकाल पूरा होने की वजह से इस बार वह अध्यक्ष की दौड़ नही हैं। नया जिलाध्यक्ष अगड़ा होगा या पिछड़ा-दलित, इसे लेकर भाजपाई कैंप में जोरदार बहस चल रही है। पीलीभीत में भाजपा जिलाध्क्ष पद के लिए जिन 28 नेताओं ने आवेदन कर रखा है, उनमें हर वर्ग-तबके के चेहरों के साथ तीन महिलाएं भी शामिल हैं। बरेली मंडल के बाकी तीन जिले बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं में जिलाध्यक्षों का ऐलान हो चुका है, लेकिन नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से हाईकमान को पीलीभीत में भाजपा जिलाध्यक्ष का ऐलान होल्ड पर रखना पड़ा है। देखना ये है कि रुहेलखंड के सबसे बड़े भगवा गढ़ में सत्तारूढ़ भाजपा अपने नेताओं की बेपटरी कहानी को कैसे पटरी पर लाती है ?

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