Mahakumbh Mela royal bath significance महाकुंभ मेला धर्म, आध्यात्म और संस्कृति का एक बड़ा आयोजन है, जिसमें दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यह मेला प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आयोजित होता है, जो इसे और भी खास बनाता है। धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से इंसान को मोक्ष मिलता है और जीवनभर के पाप मिट जाते हैं। इस स्नान को त्रिवेणी संगम पर किया जाता है, जिसे शाही स्नान कहा जाता है। अब, जानते हैं क्या है शाही स्नान।
शाही स्नान का इतिहास
शास्त्रों में शाही स्नान का कोई खास उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन यह परंपरा काफी पुरानी है, जो 14वीं से 16वीं सदी के बीच शुरू हुई। उस समय मुगलों का भारत में शासन बढ़ रहा था, और साधु और शासकों के बीच तनाव था। एक बैठक हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने एक दूसरे के धर्म का सम्मान करने का वादा किया। इसी दौरान साधुओं को सम्मानित करने के लिए कुंभ मेले में पेशवाई (रथ यात्रा) निकाली गई। साधु हाथी और घोड़ों पर बैठकर अपने ठाठ बाट के साथ स्नान के लिए जाते थे, और इस कारण इस स्नान को शाही स्नान कहा जाने लगा। यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
पेशवाई और शाही स्नान की प्रक्रिया
कुंभ मेले के दौरान, साधु सोने चांदी की पालकियों में बैठकर पेशवाई निकालते हैं। पेशवाई का मतलब है एक प्रकार की धार्मिक यात्रा, जिसमें साधु संगम तक पहुंचने के लिए जयकारे लगाते हुए जाते हैं। यह यात्रा बहुत ही भव्य होती है। इसके बाद, शुभ मुहूर्त में वे संगम में स्नान करते हैं। गंगा के पानी में स्नान को अमृत प्राप्त करने जैसा माना जाता है, जो शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है।
नागा साधु और उनका महत्व
कुंभ मेले में एक विशेष समूह होता है, जिसे नागा साधु कहा जाता है। ये साधु नंगे रहते हैं और शरीर पर भस्म लगाते हैं। नागा साधु खास तरह की तपस्या करते हैं और अपनी कठिन साधना के लिए मशहूर हैं। उन्हें महायोद्धा साधु भी कहा जाता है, क्योंकि पुराने समय में ये धर्म और समाज की रक्षा के लिए युद्ध करते थे। शाही स्नान के दौरान सबसे पहले ये साधु स्नान करते हैं, जिसे ‘प्रथम स्नान अधिकार’ कहा जाता है।
शाही स्नान की प्रक्रिया
शाही स्नान का समय और दिन पहले से तय होता है। जब शाही स्नान शुरू होता है, सबसे पहले नागा साधु और प्रमुख संत स्नान करते हैं। इसके बाद दूसरे अखाड़ों के साधु और श्रद्धालु स्नान करते हैं। शाही स्नान का यह क्रम बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस प्रक्रिया को बड़े सम्मान से निभाया जाता है