तेजस्वी यादव ने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के बयान को बताया देशद्रोह, मायावती ने भी मुंह बंद रखने की दे डाली सलाह

जगद्गुरु के बयान के बाद देश में महासंग्राम छिड़ गया है। बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश की गलियों में जगद्गुरु के खिलाफ बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है।

लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य का एक इंटरव्यू धमाल मचाए है। बाबा साहब अंबेडकर और मनुस्मृति को लेकर जगद्गुरु ने ऐसा क्या कह दिया, जिससे देश का सियासी पारा आग बरसा रहा। जगद्गुरु के बयान के बाद देश में महासंग्राम छिड़ गया है। बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश की गलियों में जगद्गुरु के खिलाफ बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर लोग जगद्गुरु के खिलाफ अपशब्द लिख रहे हैं तो वहीं नेता भी अब इस रण में कूद गए हैं।

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर गर्दा उड़ाए हुए है। जगद्गुरु के इस बयान के बाद अब देश में एकफिर आरक्षण और अंबेडकर को लेकर बहस छिड़ गई है। नेता भी सड़क पर उतर आए हैं और जगद्गुरु के खिलाफ जुबान से धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जगद्गुरु के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस दावे को देशद्रोह करार दिया।

तेजस्वी ने सवाल किया कि मनुस्मृति में महिलाओं के लिए क्या स्थान है। दलितों और पिछड़ों के बारे में क्या लिखा गया है। उन्होंने पूछा कि देश कब आजाद हुआ। भारत-इंडिया देश कब बना। पहला संविधान बाबा साहेब आंबेडकर ने बनाया है तो मनुस्मृति पहला संविधान कैसे हो सकता है। तेजस्वी ने कहा कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वो देशद्रोही हैं। ऐसे लोगों पर सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इंडिया गठबंधन जगद्गुरु के इस बयान के खिलाफ सड़क पर उतरेगी।

इनसब के बीच बीएसपी चीफ मायावती ने भी पलटवार किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने साधु-संतों को गलत बयानबाजी न करने और विवादित बयानों से बचने की सलाह दी है। बगैर किसी का नाम लिए मायावती ने कहा गलत बयानबाजी करने से बेहतर है कि वे चुप रहें। उन्होंने बाबा साहेब के अनुयायियों द्वारा मनुस्मृति का विरोध करने के कारणों को समझने की भी सलाह दी। साथ ही कहा कि बाबा साहेब की विद्वता पर टिप्पणी करने वाले साधु-संत उनके सामने कुछ भी नहीं हैं।

मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात रखी। उन्होंने लिखा है आएदिन सुर्खियों में बने रहने हेतु विवादित बयानबाजी करने वाले कुछ साधु-संतों को परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण इनको इस बारे में कोई भी गलत बयानबाज़ी आदि करने की बजाय यदि वे चुप रहें तो यह उचित होगा।

बसपा चीफ ने आगे लिखा है साथ ही, बाबा साहेब के अनुयायी, मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं। उसे भी इनको अपनी जातिवादी द्वेष की भावना को त्याग कर ज़रूर समझना चाहिये। इसके साथ-साथ, इन्हें यह भी मालूम होना चाहिये कि बाबा साहेब महान् विद्वान व्यक्तित्व थे। इस मामले में कोई भी टीका-टिप्पणी करने वाले साधु-सन्त, इनकी विद्वता के मामले में कुछ भी नहीं हैं। अतः इस बारे में भी कुछ कहने से पहले इनको ज़रूर बचना चाहिये, यही नेक सलाह।

मायावती ने अपनी पोस्ट में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा रामभद्राचार्य की ओर माना जा रहा है। अब हम आपको बताते हैं कि पद्म विभूषण से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने ऐसा क्या कहा, जिस पर पूरे देश में महासंग्राम छिड़ गया है। सोशल मीडिया पर लोग नेपाल जैसे कांड की बात लिख रहे हैं। दरअसल, एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान जगद्गुरु ने कहा कि मनु महाराज से लेकर ऋषियों तक की जो परंपरा रही है, वह न्याय परंपरा रही है।

रामभद्राचार्य ने कहा कि मनु को गाली देने वालों को क्या कहूं। बहन कहने में संकोच लग रहा है। मायावती ने मनु को गाली देने की शुरुआत की, लेकिन उनको मनुस्मृति के बारे में एक अक्षर का भी ज्ञान नहीं है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर अगर संस्कृत को ठीकठाक जानते, तो वो मनुस्मृति को जलाने का प्रयास न करते। उनको भी संस्कृत का ज्ञान नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि मनु स्मृति में एक अक्षर भी राष्ट्र के विरोध में नहीं लिखा गया है। भगवान राम ने भी मनु को आधार बनाकर न्याय किया। जगद्गुरु ने अंबेडकर को नायक मानने से भी इंकार कर दिया।

 

 

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