Jaunpur Police Fake Encounter: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में पुलिस की माफिया स्टाइल फिर चर्चा में है। सरायख्वाजा के कोठवार गांव में 70 वर्षीय कलावती देवी को दरोगा मंशाराम गुप्ता ने उनके नाती के “फेक एनकाउंटर” की धमकी दी। दरोगा की गुंडागर्दी का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस महकमा हरकत में आया और एसपी डॉ. कौस्तुभ ने आरोपी दरोगा को तत्काल सस्पेंड कर विभागीय जांच के आदेश दिए। वीडियो में बुजुर्ग महिला दरोगा के पैर पकड़कर माफी मांगती दिखती हैं, लेकिन वर्दीधारी उन्हें डराता-धमकाता है। इस घटना ने न केवल पुलिस के रौब और बेलगाम रवैये पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पूरे राज्य में पुलिस की “एनकाउंटर संस्कृति” को लेकर भी बहस छेड़ दी है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक दरोगा ने अपनी बात मनवाने के लिए एक बुद्धि औरत से इसके नाती का “फेक एनकाउंटर” करने की धमकी दी।सरकार ने उसे सस्पेंड कर दिया ।
लेकिन सोचें इसे यह हिम्मत आई कहाँ से? हमलोगों से। जब हम एनकाउंटर को सेलिब्रेट करेंगे तो उसके ऐसे इफेक्ट ऐसे ही मिलेंगे । pic.twitter.com/j3mFNOxoGm— Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) June 18, 2025
जब वर्दी बन गई धमकी का हथियार
यह चौंकाने वाली घटना 16 जून को कोठवार गांव में घटी। विशाल यादव नामक युवक और रीता यादव के बीच एक ज़मीनी विवाद को लेकर राजस्व विभाग की टीम सिद्दीकपुर चौकी के दरोगा मंशाराम गुप्ता के साथ मौके पर पहुंची थी। विशाल के माता-पिता की मृत्यु के बाद उसकी परवरिश नानी कलावती देवी ने की है। जब बुजुर्ग महिला ने विवादित जमीन पर हो रहे निर्माण का विरोध किया, तो दरोगा ने खुलेआम धमकी दी, “मिल गया तो एनकाउंटर कर दूंगा।” वीडियो में कलावती देवी दरोगा के सामने गिड़गिड़ा रही हैं, लेकिन Jaunpur पुलिस अधिकारी के चेहरे पर कोई नरमी नहीं झलकती।
वायरल वीडियो और पुलिस की फजीहत
ग्रामीण द्वारा बनाए गए इस वीडियो ने इंटरनेट पर आग की तरह फैलते हुए पूरे मामले को तूल दे दिया। वीडियो में दरोगा की भाषा, उसका रवैया और बुजुर्ग महिला के साथ उसका व्यवहार देखकर लोग स्तब्ध रह गए। सोशल मीडिया पर इसे “वर्दी की गुंडागर्दी” और “राज्य में खाकी का आतंक” कहा गया। कई यूजर्स ने एनकाउंटर संस्कृति पर भी सवाल उठाए। एक यूजर ने तीखी टिप्पणी की: “जब समाज एनकाउंटर का उत्सव मनाएगा, तो पुलिस ऐसे ही बेकाबू होगी।” यह घटना सिर्फ एक दरोगा की नहीं, पूरे सिस्टम के चरमराने की कहानी कहती है।
पहले भी चर्चा में रही है जौनपुर पुलिस
यह कोई पहली बार नहीं जब जौनपुर की पुलिस विवादों में घिरी हो। अप्रैल 2025 में मुंगराबादशाहपुर के थानेदार विनोद मिश्रा का वीडियो सामने आया था, जिसमें वह एक युवक को खंभे से बांधकर बेरहमी से पीट रहे थे। उससे पहले भी जिले में पुलिस की हिंसक छवियों वाले वीडियो वायरल हो चुके हैं। इन घटनाओं ने पुलिस और आम जनता के बीच की खाई को और चौड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर की नीति को लेकर पहले ही मानवाधिकार संगठनों ने चेताया था कि इससे कानून के दायरे से बाहर जाकर पुलिस कार्रवाई को बढ़ावा मिल सकता है।
कार्रवाई या दिखावा?
Jaunpur एसपी डॉ. कौस्तुभ ने वायरल वीडियो के तुरंत बाद दरोगा को निलंबित कर दिया और जांच की जिम्मेदारी एएसपी (ग्रामीण) आतिश कुमार सिंह को दी गई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कार्रवाइयां अक्सर “जनता का गुस्सा शांत करने की रस्म अदायगी” बनकर रह जाती हैं। यदि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी न हो, तो दरोगा फिर बहाल हो सकते हैं, और सिस्टम वही का वही रहेगा। असल सुधार तब संभव है, जब ऐसे मामलों में केवल निलंबन नहीं, बल्कि आपराधिक मुकदमे और सेवा से बर्खास्तगी जैसी सख्त सज़ाएं भी दी जाएं।
“रक्षक” या “भक्षक”?
Jaunpur की यह घटना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। जब एक बुजुर्ग महिला पुलिस से सुरक्षा की बजाय डर महसूस करने लगे, तो समझ लेना चाहिए कि समस्या कितनी गहरी है। “एनकाउंटर ही न्याय है” जैसी सोच ने खाकी को बेलगाम बना दिया है। यह जरूरी है कि सरकार और प्रशासन इस रवैये पर तुरंत लगाम लगाए और पुलिस को फिर से “जनसेवक” के रूप में परिभाषित करे—वरना आने वाले वक्त में जनता और पुलिस के बीच भरोसे की आखिरी डोर भी टूट सकती है।