मुरादाबाद में नौकरी दिलाने के नाम पर चल रहे एक बड़े फर्जीवाड़े ने कई युवाओं का सपना और उनकी मेहनत की कमाई दोनों तोड़ दी। ठगों के गिरोह ने विदेश में ऊंचे पैकेज की नौकरी का झांसा देकर युवाओं से लाखों रुपये वसूले, फर्जी टिकट और नकली वीजा थमाए और उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट तक भेज दिया, जहां इमीग्रेशन जांच में पूरी साज़िश का भंडाफोड़ हो गया।
कैसे रचा गया जॉब फ्रॉड का जाल?
पुलिस और साइबर सेल के अनुसार, गिरोह ऑनलाइन विज्ञापन, व्हाट्सऐप मैसेज और लोकल एजेंटों के माध्यम से बेरोजगार युवाओं तक पहुंचता था और गल्फ या यूरोपीय देशों में “हाई-पेइंग जॉब” का झांसा देता था।
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उम्मीदवारों से पहले “रजिस्ट्रेशन” और “डॉक्यूमेंट प्रोसेसिंग” के नाम पर 50–70 हजार रुपये लिए जाते थे।
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इसके बाद इंटरव्यू क्लियर होने और “ऑफर लेटर” मिलने की कहानी सुनाकर 2–4 लाख रुपये तक वसूले जाते थे।
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भरोसा जीतने के लिए एजेंट फर्जी कंपनी लेटरहेड, नकली वीजा स्टिकर और रिटर्न टिकट भी दिखाते थे, जो देखने में असली जैसे लगते थे।
पीड़ितों को तय तारीख को दिल्ली IGI एयरपोर्ट बुलाया जाता था, जहां वे चेक-इन या इमीग्रेशन काउंटर पर पहुंचते ही पकड़े जाते, क्योंकि वीजा और टिकट सिस्टम में वैध ही नहीं होते थे। कई मामलों में एयरपोर्ट से ही यात्रियों ने पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद ठगी का नेटवर्क सामने आया।
पुलिस की जांच में क्या सामने आया?
दिल्ली और मुरादाबाद कनेक्शन वाले ऐसे कई मामलों में सामने आया कि:
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गिरोह अलग-अलग राज्यों में बने फर्जी या ‘पे-एंड-यूज’ दफ्तरों से ऑपरेट कर रहा था, जो कुछ महीने बाद बंद कर दिए जाते थे।
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पैसों की लेन-देन के लिए अलग-अलग बैंकों में फर्जी KYC पर खाते खोले गए और रकम तुरंत कैश या क्रिप्टो में कन्वर्ट कर ली जाती थी।
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कई एजेंट पहले खुद खाड़ी देशों जा चुके थे और उसी नेटवर्क की आड़ में फर्जी वीजा व टिकट तैयार करवाते थे।
कुछ मामलों में क्राइम ब्रांच ने छापा मारकर एजेंटों के पास से दर्जनों पासपोर्ट, फर्जी वीजा प्रिंट, स्टैम्प, कंप्यूटर और मोबाइल जब्त किए हैं। पुलिस अब बैंक खातों की ट्रेल, कॉल रिकॉर्ड और चैट बैकअप के आधार पर बाकी सहयोगियों की तलाश कर रही है।
नौकरी के नाम पर ठगी से कैसे बचें?
विशेषज्ञ और जांच एजेंसियां सलाह दे रही हैं कि विदेश में नौकरी के लिए:
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सिर्फ भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड और MEA/Labour Ministry से मान्यता प्राप्त रिक्रूटमेंट एजेंसियों से ही डील करें।
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किसी भी अनजाने एजेंट को सीधे खाते में बड़ी रकम ट्रांसफर न करें और हमेशा रसीद/कॉन्ट्रैक्ट लें।
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वीजा की वैधता संबंधित देश के आधिकारिक वेरिफिकेशन पोर्टल या दूतावास से जरूर क्रॉस-चेक करें।
जांच अधिकारी मानते हैं कि बेरोजगारी और विदेश में जल्दी कमाने की चाहत का फायदा उठाकर ऐसे गिरोह सक्रिय रहते हैं, इसलिए जागरूकता और समय पर पुलिस को सूचना देना ही सबसे बड़ा बचाव है।
