Mahakumbh 2025: मिलिए कलयुग के ‘ भीष्म पितामह ’ से, जो कांटे की शय्या पर 50 साल से कर रहे तपस्या

Prayagraj Mahakumbh 2025 Special Story: कांटे वाले बाबा' अपने साधना के अनोखे तरीके की वजह से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वह कांटों की सेज पर साधना करते हैं और इसे अपनी तपस्या का हिस्सा मानते हैं।


Prayagraj Mahakumbh 2025 Special Story प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क।
महाभारत युद्ध के महान योद्धा भीष्म पितामह के बारे में आपना जरूर पड़ा होगा। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। युद्ध के दौरान अर्जुन ने उन्हें इतने बाण मारे कि, जो शय्या बन गया। पितामह पूरे 57 दिनों तक बाणों की शय्या पर लेटे रहे। ये कहानी द्धापर की है, लेकिन कलयुग में भी एक ऐसा ही दृश्य सामने आया है। यहां युद्ध नहीं बल्कि तपस्या के कारण एक संत पिछले 50 सालों से कांटे की शय्या पर लेटा हुआ है। जिन्हें महाकुंभ में आने वाले भक्त कांटे वाले बाबा के नाम से पुकारते हैं। कांटे वाले बाबा’ अपने साधना के अनोखे तरीके की वजह से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वह कांटों की सेज पर साधना करते हैं और इसे अपनी तपस्या का हिस्सा मानते हैं।

बाबा सोशल मीडिया पर खूब वायरल

तीर्थराज प्रयागराज में बीते 13 जनवरी से महाकुंभ का आगाज हो गया। 1 फरवरी 2025 तक लगभग 34 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्ण कमाया। फिलहाल संत और भक्तों के आने का सिलसिला जारी है। अनुमान है कि इसबार के महाकुंभ में नए रिकार्ड बनेंगे। करीब 45 से 50 करोड़ भक्त त्रिवेणी में डुबकी लगा सकते हैं। महाकुंभ में जहां भक्तों का रेला है तो वहीं 13 अखाड़ा और संत भक्तों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन्हीं में से एक हैं ’कांटे वाले बाबा’, जिनका असली नाम रमेश कुमार मांझी है। अपने साधना के अनूठे तरीके के कारण ये बाबा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं और महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

बिहार के रहने वाले हैं ’कांटे वाले बाबा’

’कांटे वाले बाबा’ का नाम रमेश कुमार मांझी है। कांटे वाले बाबा मूलरूप से बिहार के रहने वाले हैं। कांटे वाला बाबा कहना है कि वो 50 सालों से कांटों पर लेटकर ही साधना कर रहे हैं। वे कांटों पर सोते हैं और कांटों के माध्यम से अपने धर्म और आस्था को व्यक्त करते हैं। बाबा का मानना है कि यह उनके लिए भगवान की विशेष कृपा है और उनके शरीर को शारीरिक लाभ प्रदान करता है। बाबा का कहना है, मैं गुरु की सेवा करता हूं। गुरु ने मुझे ज्ञान और आशीर्वाद दिया है। यह सब भगवान की महिमा है जो मुझे ऐसा करने में सक्षम बनाती है। मैं पिछले 40-50 सालों से हर साल ऐसा करता आ रहा हूं। बाबा ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए हमने ये मार्ग चुना। सनातन के नाम पर अपना पूरा जीवन दिया।

अंदरूनी शक्ति और शांति

बाबा का दावा है कि कांटों पर लेटने से उन्हें शारीरिक लाभ होता है। वह इसे न केवल एक साधना का तरीका मानते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद बताते हैं। बाबा ने बताया, कांटों पर लेटने से मुझे कभी कोई तकलीफ नहीं होती। यह मुझे अंदरूनी शक्ति और शांति प्रदान करता है। बाबा उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और गंगासागर जैसे अन्य धार्मिक स्थलों पर भी अपनी साधना करते हैं। बाबा बताते हैं कि उन्हें श्रद्धालुओं से प्रतिदिन करीब 1,000 रुपये दक्षिणा के रूप में मिल जाते हैं। इन पैसों का आधा हिस्सा वह जन्माष्टमी के अवसर पर दान कर देते हैं, जबकि शेष राशि से अपने दैनिक खर्च पूरे करते हैं। उनका कहना है कि उनकी साधना और आस्था का उद्देश्य केवल भक्ति और जनकल्याण है।

लड़की ने कांटे वाले बाबा के साथ बदसलूकी की

कांटे वाले बाबा का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। बाबा कांटे पर खुले बदन बैठे हुए थे। उधर से गुजरने वाले लोग बाबा को श्रद्धानुसार दान दे देते रहे थे। इस बीच, एक लड़की ने कांटे वाले बाबा के साथ बदसलूकी की। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कांटे वाले बाबा जमीन पर बैठकर दान के पैसे समेट रहे हैं। इस बीच एक लड़की खड़े होकर उनसे पैसे मांगती है। लड़की कहती है कि आपको पैसों की क्या जरूरत है। ये पैसे मुझे दे दो। इस पर बाबा कहते हैं कि उनके घर में बच्चे हैं पर लड़की उनसे लगातार बहस कर रही है। सोशल मीडिया पर लोग लड़की की करतूतों का विरोध जता रहे हैं। साथ ही यूपी पुलिस को टैग करते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

रिपोर्टर को थप्पड़ मार दिए

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले कांटे वाले बाबा ने सवाल पूछने पर रिपोर्टर को थप्पड़ मार दिए थे। दरअसल रिपोर्टर ने पूछा था कि जिस कांटे पर आप लेते हैं क्या वह असली है। इस पर बाबा ने रिपार्टर का कॉलर पकड़कर खींच लिया और उसे कांटे पर लेटने के लिए कहा। बाबा ने कहा कि लेटकर देखो तो खुद पता चल जाएगा। इसका भी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। हालांकि कुछ दिन से कांटे वाले बाबा महाकुंभ में नहीं दिख रहे हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि वह महाकुंभ से चले गए हैं। हालांकि किसी ने इसके बारे में पुष्टि नहीं की।

 

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