लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। यूपी बीजेपी में बड़े उलटफेर के संकेत मिल रहे हैं। ऐसा दावा किया जा रहा है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने पद से रिजाइन करेंगे। उन्हें पार्टी हाईकमान यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। जानकार बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की सीएम योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है। अमित शाह और सीएम योगी के बीच भी डील पक्की हो गई है। आरएसएस ने भी केशव मौर्य के नाम पर लगा दी है। अब किसी भी वक्त यूपी बीजेपी चीफ के नाम का ऐलान हो सकता है।
भारतीय जनता पार्टी जहां अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर मंथन कर रही है तो यूपी चीफ के नाम को लेकर बैठक हो चुकी है। बताया जा रहा है कि 2017 के बाद एकबार फिर से केशव प्रसाद मौर्य को यूपी चीफ बनाया जा सकता है। इसकी झलख भी दिखनी शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की तरफ कुछ दिन पहले सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अमित शाह के साथ अपनी फोटो शेयर की गई थी। फोटो शेयर करने के बाद केशव प्रसाद मौर्य राज्यभवन भी किए और राज्यपाल से मुलाकात की।
डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सोशल मीडिया में कुछ शब्द भी लिखे। उन्होंने लिखा, भारतीय राजनीति के चाणक्य हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शक गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह से शिष्टाचार भेंट कर 2027 में उत्तर प्रदेश में 2017 दोहराने व तीसरी बार भाजपा सरकार बनाने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। डिप्टी सीएम ने ये भी लिखा कि 2017 में बीजेपी 325 सीटें जीती थीं। 2027 में बीजेपी इस आंकड़े को पार करेगी। मौर्य की इस पोस्ट के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
चर्चा है कि बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष की जल्द ही घोषणा हो सकती है। सपा के पीडीए की काट के लिए पार्टी ओबीसी या वंचित समाज से अध्यक्ष बना सकती है। सूत्र बताते हैं कि केशव प्रसाद मौर्य का नाम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर लगभग-लगभग फाइनल हो गया है। जल्द ही बीजेपी यूपी चीफ के नाम का ऐलान कर देगी। सूत्र बताते हैं कि अगर केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी पद से रिजाइन करते हैं तो सूबे को नया डिप्टी सीएम मिलेगा। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी कुर्मी समाज से आने वाले नेता को डिप्टी सीएम बना सकती हैं। इसमें स्वतंत्रदेव सिंह का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है।
दरअसल उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हाल की मुलाकातों ने सूबे की राजनीति का पारा बढ़ा दिया है। केशव मौर्य ने 8 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह से बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से अहम मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर अहम चर्चा हुई है। अमित शाह से मुलाकात के बाद केशव मौर्य ने खुद स्वीकार किया है कि 2027 में 2017 दोहराने और यूपी में जीत हैट्रिक लगाने पर चर्चा हुई है। 2017 में केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के अध्यक्ष थे और उन्ही की अगुवाई में बीजेपी ने ऐतिहासक जीत दर्ज की थी। ऐसे में केशव के बयान ने ही उन्हें फिर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने की चर्चाओं को हवा दे दी है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी में ओबीसी समुदाय का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। प्रदेश में पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी है और पार्टी को 2017 और 2019 में इस वर्ग से भरपूर समर्थन मिला था। ऐसे में जब समाजवादी पार्टी पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के जरिए बीजेपी के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। तब केशव प्रसाद मौर्य को सामने लाकर बीजेपी पिछड़े वर्ग को साधने की रणनीति पर काम कर सकती है। केशव मौर्य 2017 में जब यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे, उस वक्त पार्टी ने 403 में से 312 सीटें जीतकर रिकॉर्ड कायम किया था।
केशव प्रसाद मौर्य जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं, जो गली-गली जाकर संगठन को खड़ा करने की क्षमता रखते हैं। इसीलिए पार्टी फिर से 2027 में वैसी ही जीत दोहराने के लिए उनके अनुभव और पकड़ का फायदा उठाना चाहती है। बीजेपी में जहां एक ओर अमित शाह जैसे आक्रामक रणनीतिकार हैं, वहीं राजनाथ सिंह जैसे संतुलनकारी चेहरे भी पार्टी की दिशा तय करते हैं। केशव मौर्य दोनों के बीच संवाद बनाए रखने में सक्षम हैं। हाल ही में उनकी अमित शाह और राजनाथ सिंह से बैक-टू-बैक मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि मौर्य संगठन और सरकार दोनों के बीच संतुलन साधने में माहिर हैं।
केशव प्रसाद मौर्य की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे संघ और संगठन की नर्सरी से निकले नेता हैं। उनकी छवि एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर उपमुख्यमंत्री तक की यात्रा करने वाले नेता की है। यह बात उन्हें जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बनाती है। पार्टी को ऐसे ही चेहरे की तलाश है जो कार्यकर्ताओं को फिर से ऊर्जा दे सके। जानकार बताते हैं कि केशव प्रसाद मौर्य को संगठन में भेजने की सबसे मुख्य वजह मुख्यमंत्री दावेदारी को लेकर आपस में टकराव माना जा रहा है। ऐसे में बीजेपी केशव मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप कर योगी आदित्यनाथ का रास्ता साफ कर देना चाहती है।