Kundarki By-Election: कुंदरकी में 31 साल बाद हो गया खेला, 11 मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच अकेले हिन्दू उम्मीदवार की धमाकेदार जीत

Kundarki By-Election: कुंदरकी में बीजेपी ने 30 साल बाद बड़ी जीत दर्ज की। मुस्लिम बहुल सीट पर रामवीर ठाकुर ने 50 हजार से अधिक वोटों से बढ़त बनाते हुए सपा के हाजी मोहम्मद रिजवान को हराया। 11 मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच बीजेपी के इकलौते हिंदू प्रत्याशी की जीत विपक्ष के लिए बड़ा झटका साबित हुई।

Kundarki by-election

Kundarki by-election: मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर यूपी उपचुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। मुस्लिम बहुल इस सीट पर बीजेपी ने 31 साल बाद जीत दर्ज की है। 11 मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच बीजेपी के इकलौते हिंदू उम्मीदवार रामवीर ठाकुर ने 50 हजार से अधिक वोटों से बड़ी बढ़त हासिल की। सपा के दिग्गज नेता और तीन बार के विधायक हाजी मोहम्मद रिजवान सिर्फ 7 हजार वोट ही जुटा सके। यह नतीजा सपा के गढ़ मानी जाने वाली कुंदरकी सीट पर विपक्ष के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

सपा का गढ़ हुआ कमजोर

सपा के उम्मीदवार हाजी मोहम्मद रिजवान को Kundarki by-election में हार का सामना करना पड़ा, जहां उन्हें एंटी-इंकंबेंसी और मुस्लिम वोटों के बंटवारे का नुकसान हुआ। 60% से अधिक मुस्लिम वोटरों वाली सीट पर सपा को मजबूत पकड़ मानी जाती थी। हाजी रिजवान ने 2002, 2012, और 2017 में कुंदरकी से जीत दर्ज की थी। इस बार उनके खिलाफ गुटबाज़ी और जनता की नाराजगी ने सपा की राह मुश्किल बना दी।

कैसे BJP ने बनाई बढ़त

बीजेपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आक्रामक प्रचार और रणनीति ने इस जीत को संभव बनाया। रामवीर ठाकुर ने स्थानीय मुस्लिम मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश की। इसके अलावा, बीजेपी की मुस्लिम विंग और स्थानीय नेताओं ने सघन प्रचार किया। मुस्लिम वोटों का AIMIM, बसपा, और अन्य दलों के बीच बंटवारा बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ।

हाजी रिजवान का आरोप

हार के बाद सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान ने बीजेपी पर धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सही तरीके से वोटिंग नहीं होने दी और गिनती में भी गड़बड़ी की आशंका जताई। उन्होंने दोबारा चुनाव करवाने की मांग की।

Kundarki by-election में बीजेपी का कमाल

Kundarki by-election में 57.7% मतदान हुआ था, जो इस उपचुनाव में सबसे अधिक था। यह सीट 1993 के बाद से बीजेपी के लिए अजेय रही थी। रामवीर ठाकुर की जीत न केवल बीजेपी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि विपक्ष के लिए चेतावनी भी है कि सपा का गढ़ अब कमजोर हो चुका है।

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