Kushinagar News: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में हाल ही में एक बेहद भावनात्मक और अनोखा कदम उठाया गया है, जब 17 नवजात बेटियों का नाम उनके परिवारों ने ‘सिंदूर’ रखा। यह नाम उन वीरता की याद में रखा गया है, जो भारतीय सेना ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में दिखाई। ऑपरेशन सिंदूर, जो पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया था, ने न केवल हमारे सैनिकों की बहादुरी को साबित किया, बल्कि देशवासियों में एक नई ऊर्जा और गर्व की भावना भी पैदा की।
Kushinagar जिले की अर्चना शाही, जिन्होंने अपनी बेटी को जन्म दिया, कहती हैं, “पहलगाम हमले में कई महिलाएं अपने पतियों को खो चुकी थीं, और इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से हमारी उम्मीदों और गर्व को नया रूप दिया। अब सिंदूर सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि हमारे दिलों में बसी एक भावना बन चुका है।”
22 अप्रैल को आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। यह हमला एक गहरा आघात लेकर आया था, लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए ऑपरेशन सिंदूर को सफलता से अंजाम दिया, जिससे न केवल आतंकवादियों को भारी नुकसान हुआ, बल्कि पूरे देश में एक नया उत्साह और जोश फैल गया। इस साहसिक कार्रवाई के बाद, कुशीनगर जिले के परिवारों ने इसे अपनी बेटियों के लिए श्रद्धांजलि और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में अपनाया।
मदन गुप्ता, जिनकी बहू ने नवजात बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखा, बताते हैं, “हमने इस नाम को चुनने का निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि हम न सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को याद रखना चाहते थे, बल्कि यह दिन हमारे लिए उत्साह और प्रेरणा का दिन बन गया। हमारी बेटी जब बड़ी होगी, तो उसे इस नाम का वास्तविक अर्थ समझ में आएगा।”
RSS statement: ऑपरेशन सिंदूर पर RSS का बड़ा बयान, देशवासियों से की यह अपील
Kushinagar मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके शाही ने बताया कि इस प्रकार की पहल इस जिले में दो दिनों के अंतराल में की गई थी, जब 17 नवजात लड़कियों का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम भारतीय सेना की वीरता और गौरव को सलाम करने का तरीका था, और यह संयोग नहीं था कि कुशीनगर जिले के कई परिवारों ने इसे अपनाया।
अर्चना शाही के पति, अजीत शाही ने भी कहा, “हमने पहले ही अपनी बेटी के जन्म से पहले उसका नाम ‘सिंदूर’ सोच लिया था। यह नाम हमारे लिए प्रेरणा का प्रतीक है।” इस प्रकार, कुशीनगर के विभिन्न गांवों से आईं बेटियों ने इस नाम को अपनाया, और उनके माता-पिता का कहना था कि उनका यह कदम न सिर्फ सेना के ऑपरेशन सिंदूर के प्रति सम्मान है, बल्कि यह उनके देशभक्ति के भाव को भी व्यक्त करता है।
Kushinagar जिले के भठही बाबू गांव की एक अन्य माता ने भी अपनी बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखा और कहा कि वह अपनी बेटी में साहस और देशप्रेम की भावना भरना चाहती हैं, ताकि वह जब बड़ी हो, तो इस नाम का असल अर्थ समझ सके और अपने कर्तव्यों को निभाने में अग्रणी बन सके।
यह कदम न केवल एक शब्द या नाम के रूप में सिमट कर रह गया, बल्कि यह हमारे देशवासियों की जज्बातों, गौरव और एकजुटता का प्रतीक बन गया। ‘सिंदूर’ अब न केवल एक ऑपरेशन का नाम है, बल्कि यह भारतीय सेना की वीरता और मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक बन गया है।