Ghazipur News : एआरटीओ कार्यालय गाजीपुर एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में है। इस बार मामला सीधे आम जनता से जुड़े ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले से जुड़ा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल द्वारा पिछले कुछ महीनों से भारी अनियमितताएं की जा रही हैं। शासन द्वारा इस स्कूल को लाइसेंस टेस्ट पास कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, जो एआरटीओ की निगरानी में संपन्न होना था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पिछले माह तक जब आरआई और एआरटीओ दोनों के पद जिले में खाली थे, तब भी तेज सिंह मोटर स्कूल द्वारा सैकड़ों लोगों को लाइसेंस के लिए पास दिखा दिया गया। जबकि नियमानुसार हर अभ्यर्थी को तय मानकों पर टेस्ट पास करना अनिवार्य होता है।
कैसे हुआ घोटाला?
पिछले महीने तक स्कूल द्वारा महज 20 से 25 अभ्यर्थियों को पास किया गया था, लेकिन जैसे ही जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का ट्रांसफर हुआ और पद रिक्त हो गए, अचानक यह संख्या सैकड़ों में पहुंच गई। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब एआरटीओ और आरआई जैसे पद खाली थे, तब आखिर इन टेस्ट की निगरानी किसने की? किसने इन लोगों को पास किया?
मोटी रकम लेकर बांटे जा रहे लाइसेंस
सूत्रों के अनुसार, तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस के नाम पर ₹3000 से ₹6000 तक की वसूली की जा रही है। तो वही तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल से आरआई द्वारा 6000 का वसूली किया जाता है। जिन लोगों के पास पैसे नहीं हैं — जैसे मजदूरी करने वाले युवा या छात्र — उनके लिए लाइसेंस बनवाना नामुमकिन हो गया है। कुछ दलाल और दुकानदार भी खुलेआम यह काम कर रहे हैं और लाइसेंस दिलवाने के नाम पर आम आदमी को विभाग के चक्कर कटवा रहे हैं।
कई आवेदनकर्ता महीनों से आरटीओ दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब इस घोटाले को लेकर नए आरटीओ धनवीर यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने जांच कर सख्त कार्यवाही का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, अगर किसी भी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है, चाहे वह टेस्ट प्रक्रिया में हो या आर्थिक लेन-देन में, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
घोटाले की परतें यहीं खत्म नहीं होतीं। जानकारों का कहना है कि जिले में जब ना एआरटीओ और ना आरआई कार्यरत थे, तब ड्राइविंग टेस्ट किसने लिया? और किसके आदेश से इतने लाइसेंस अप्रूव हो गए? क्या दस्तावेजों की जांच की गई? क्या वीडियो रिकॉर्डिंग की गई?यह सवाल विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं और सीधे भ्रष्टाचार की बू देते हैं।
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तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल सिर्फ एक प्रशिक्षण संस्थान नहीं रह गया है, बल्कि यह अब ‘लाइसेंस माफिया’ का नया अड्डा बन चुका है। बिना टेस्ट के पास दिखाकर और अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर जिस तरह से ड्राइविंग लाइसेंस बांटे जा रहे हैं, वह न सिर्फ कानून की अवहेलना है, बल्कि आम जनता के साथ खुला धोखा है। इस पूरे मामले में शासन को तत्काल हस्तक्षेप कर निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी संस्थान जनता की मजबूरी का फायदा न उठा सके।