ग्रीन कॉरिडोर के लिए चौराहों का बदलेगा स्वरूप; जाम मुक्त होगी राजधानी

लखनऊ को जाम मुक्त और हरा-भरा बनाने की महत्वाकांक्षी ग्रीन कॉरिडोर परियोजना अपने निर्णायक चरण में पहुंच गई है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने कॉरिडोर से उतरने वाले यातायात को सुगम बनाने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों की री-इंजीनियरिंग शुरू कर दी है।

Lucknow

Lucknow Green Corridor: राजधानी लखनऊ को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने और एक ‘स्मार्ट और ग्रीन सिटी’ के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए, ग्रीन कॉरिडोर परियोजना अब अपने अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर चुकी है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने कॉरिडोर से सटी शहर की यातायात की धमनियों, यानी प्रमुख चौराहों, को नया स्वरूप देना शुरू कर दिया है। निशातगंज, डालीगंज, समतामूलक, और बादशाहनगर जैसे चौराहों को री-डिजाइन किया जा रहा है।

यहां चौड़ी सड़कें, समर्पित टर्निंग जोन, अलग-अलग लेन, और सबसे महत्वपूर्ण, अत्याधुनिक स्मार्ट सिग्नल सिस्टम लगाए जाएंगे, ताकि कॉरिडोर से आने-जाने वाली भारी भीड़ को बिना किसी रुकावट के व्यवस्थित किया जा सके। Lucknow एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि निशातगंज और डालीगंज चौराहों पर काम तेजी से जारी है। गोमती नदी के दोनों किनारों पर आईआईएम रोड से किसान पथ तक लगभग 57 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है, जिसका एक हिस्सा (समतामूलक चौराहा से निशातगंज तक) 15 दिसंबर 2025 से खुलने की उम्मीद है। इस परियोजना की सफलता में चौराहों की री-डिजाइनिंग को एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है।

Lucknow परियोजना की मुख्य जानकारी

  • कॉरिडोर का विस्तार: गोमती नदी के दोनों किनारों पर आईआईएम रोड से किसान पथ तक।

  • कुल लंबाई: लगभग 57 किलोमीटर (4 फेज में)।

  • मुख्य कार्य: निशातगंज, डालीगंज, समतामूलक समेत कई चौराहों की री-डिजाइनिंग और स्मार्ट सिग्नल सिस्टम लगाना।

  • उद्देश्य: कॉरिडोर से उतरने वाले भारी यातायात का सुगम प्रबंधन और शहर को जाम मुक्त बनाना।

  • अपेक्षित पूर्णता (फेज-2): हनुमान सेतु-पिपराघाट 28 किमी हिस्सा दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना।

  • आंशिक ओपनिंग: 15 दिसंबर 2025 से समतामूलक चौराहा से निशातगंज तक का हिस्सा खुलने की उम्मीद है।

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