Lucknow Kanpur Bhopal Corridor: लखनऊ से भोपाल की यात्रा अब और तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक होने जा रही है। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ, कानपुर और भोपाल को जोड़ने वाले 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की तैयारी जोरों पर है। इस परियोजना के पहले चरण में हमीरपुर और महोबा जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी गई है और जल्द ही मुआवजा वितरण की प्रक्रिया भी शुरू होगी। नया एक्सप्रेस-वे न केवल यात्रा का समय आधा करेगा, बल्कि बुंदेलखंड के ट्रैफिक लोड और हादसों से जूझते मौजूदा हाईवे पर दबाव भी कम करेगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विकास को गति देने वाली साबित होगी।
नौबस्ता से भोपाल तक 500 किमी का एक्सप्रेस-वे
इस प्रस्तावित Lucknow Kanpur Bhopal Corridor एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई करीब 500 किलोमीटर होगी, जो उत्तर प्रदेश के कानपुर के नौबस्ता से शुरू होकर हमीरपुर, महोबा होते हुए मध्य प्रदेश के छतरपुर, सागर, विदिशा और अंत में भोपाल तक पहुंचेगा। कानपुर से महोबा तक का 112 किलोमीटर लंबा हिस्सा एनएचएआई का कानपुर डिवीजन बनाएगा, जबकि कबरई से सागर तक का कार्य छतरपुर डिवीजन के पास होगा। लखनऊ से इस कॉरिडोर को कानपुर रिंग रोड और फिर कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाएगा, जिससे राजधानी से भोपाल तक की यात्रा और आसान हो जाएगी।
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू, जल्द मिलेगा मुआवजा
एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर पंकज यादव ने बताया कि Lucknow Kanpur Bhopal Corridor भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया 6-7 महीने में पूरी हो जाएगी। हमीरपुर और महोबा में धारा-3 कैपिटल ए की अधिसूचना जारी कर दी गई है। आगामी 21 दिनों में लोगों की आपत्तियां ली जाएंगी और उसके निस्तारण के बाद धारा-3डी लागू कर भूमि केंद्र सरकार के नाम पर निहित की जाएगी। इसके बाद मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होगी। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के 80-90% पूर्ण होते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। कानपुर में प्रक्रिया तेज गति से आगे बढ़ रही है।
समय और जान दोनों बचाएगा एक्सप्रेस-वे
वर्तमान में लखनऊ से भोपाल की दूरी तय करने में करीब 14 घंटे और कानपुर से 12 घंटे लगते हैं। लेकिन इस Lucknow Kanpur Bhopal Corridor एक्सप्रेस-वे के चालू होने पर यह समय आधा रह जाएगा। इसके अलावा मौजूदा नैशनल हाइवे-34 जो महज 2 लेन का है, उस पर भारी ट्रैफिक और ट्रकों की भीड़ के चलते लगातार हादसे होते हैं। नया कॉरिडोर इस भीड़ को कम करेगा और हादसों में भी कमी लाएगा। यह रास्ता न सिर्फ आम यात्रियों के लिए लाभकारी होगा बल्कि व्यापार और औद्योगिक विकास को भी रफ्तार देगा।
लखनऊ-कानपुर-भोपाल इकोनॉमिक कॉरिडोर सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं, बल्कि यह उत्तर और मध्य भारत को जोड़ने वाला आर्थिक जीवनरेखा बनने जा रहा है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के साथ ही यह सपना अब हकीकत में बदलने की ओर अग्रसर है।