महाकुंभ 144 साल में क्यों ? क्या है इसका इतिहास…मैनपुरी की आराध्या ने अखिलेश को दिया करारा जवाब

सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा महाकुंभ पर उठाए गए सवालों के बीच, लखनऊ के सीएमएस स्कूल की छात्रा आराध्या मिश्रा ने एक पत्र लिखकर अखिलेश यादव को महाकुंभ के महत्व और उसके असली अर्थ को समझाया है।

Lucknow CM Student letter

Lucknow CM Student letter : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की महाकुंभ को लेकर की गई टिप्पणी के बाद, लखनऊ की सीएमएस स्कूल की छात्रा आराध्या मिश्रा ने एक पत्र के माध्यम से उन्हें जवाब दिया है। इस पत्र में आराध्या ने सपा प्रमुख को महाकुंभ के महत्व और 144 साल बाद इसके आयोजन के बारे में जानकारी दी है। छात्रा का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मैनपुरी सांसद डिंपल यादव का भी उल्लेख किया गया है।

सीएमएस स्कूल की छात्रा अखिलेश यादव को लिखा पत्र

आराध्या मिश्रा ने पत्र में लिखा, “नमस्ते अखिलेश अंकल, आप मेरे मैनपुरी जिले के पड़ोसी हैं और डिंपल आंटी मैनपुरी से सांसद हैं, लेकिन जब मैंने आपका वीडियो देखा, तो मुझे लगा कि आपको एक पत्र भेजना चाहिए। हो सकता है मेरी जानकारी अधूरी हो, लेकिन मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि जिस सनातन धर्म के बारे में आप सवाल उठा रहे हैं, उस धर्म के लाखों अनुयायी हर साल वहां स्नान करने आते हैं। यह आस्था का सवाल है।”

‘आपसे यह उम्मीद नहीं…’ – आराध्या

आराध्या ने आगे कहा, “अखिलेश अंकल, 12वां महाकुंभ जब समाप्त होता है, तब एक विशेष अमृत योग बनता है। यह योग 144 वर्षों में एक बार आता है। इस दौरान मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि तक त्रिवेणी संगम में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। मैंने गूगल पर आपकी तस्वीर देखी थी, जब आप भी इस महाकुंभ में स्नान करने आए थे, और यह हम सबके लिए गर्व की बात है। मैं आपसे विनम्र निवेदन करती हूं कि आप सनातन धर्म के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें, क्योंकि आप एक बड़े राजनेता हैं और हम आपसे यह उम्मीद नहीं करते कि आप सनातन धर्म पर ऐसी टिप्पणियाँ करें। इससे न केवल मैं, बल्कि करोड़ों बच्चे आहत होते होंगे। अखिलेश अंकल, जय श्रीराम।”

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यह पत्र उस समय चर्चा में आया जब अखिलेश यादव ने महाकुंभ को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, “बीजेपी यह दावा कर रही है कि 144 साल बाद महाकुंभ हुआ है, लेकिन यह तारीख किसने तय की? क्या बीजेपी के लोग वैज्ञानिक हैं? महाकुंभ कोई शब्द नहीं है, यह एक बड़ा आयोजन था और इसके लिए पैसा जुटाना था, इसलिए लोगों को गुमराह किया गया।”

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