Meerut Detention Center: मेरठ प्रशासन ने शहर की झुग्गी-झोपड़ी और मलिन बस्तियों में रहने वाले प्रवासी परिवारों का एक व्यापक सर्वे पूरा किया है। इस गहन जांच में लगभग 1600 परिवारों में 6500 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की गई है। इनमें से करीब 3200 लोगों की पहचान की प्रामाणिकता को लेकर गंभीर शंकाएं हैं, जिसके चलते उनकी पहचान संबंधी दस्तावेज़ों को असम, बंगाल, राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों की पुलिस के पास सत्यापन के लिए भेजा गया है। चिह्नित संदिग्धों में सर्वाधिक 50 प्रतिशत संख्या असम से आए प्रवासियों की है। इन बस्तियों में ड्रोन के ज़रिए हर गतिविधि पर विशेष नजर रखी जा रही है, क्योंकि कई लोगों ने अपनी पहचान संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं।
डिटेंशन सेंटर की प्रक्रिया तेज
संदिग्धों की पहचान के बाद, प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए 500 विदेशी नागरिकों को रखने की क्षमता वाला एक डिटेंशन सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। यह सेंटर गाजियाबाद के नंदग्राम मॉडल पर आधारित होगा। जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह ने नगर आयुक्त को तत्काल उपयुक्त स्थान चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रस्तावित सेंटर में रहने वाले लोगों के लिए भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। डीएम ने स्पष्ट किया कि हालांकि अभी तक जिले में कोई भी बांग्लादेशी, रोहिंग्या या अफ्रीकी मूल का व्यक्ति नहीं मिला है, लेकिन सतर्कता और सुरक्षा कारणों से व्यवस्थाएं पहले से मजबूत की जा रही हैं।
प्रवासी बस्तियों पर ड्रोन से निगरानी
Meerut एसएसपी डॉ. विपिन ताडा के अनुसार, चार महीने पहले गठित झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ ने जिले में ऐसे 52 स्थान चिह्नित किए हैं जहां बड़ी संख्या में प्रवासी अस्थायी बस्तियों में रहते हैं। जिन लोगों ने अपने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं, उनके नाम अलग से रजिस्टर में दर्ज कर लिए गए हैं। उनकी हर गतिविधि पर ड्रोन के माध्यम से विशेष निगरानी रखी जा रही है। हापुड़ रोड और लिसाड़ी गेट क्षेत्र प्रवासी बस्तियों के सबसे बड़े केंद्र हैं, जहां बंगाल और असम के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं और मुख्य रूप से कबाड़ बीनकर जीवनयापन करते हैं।
फर्जी आधार कार्ड की आशंका
Meerut अधिकारियों ने बताया कि इस कड़े अभियान का एक कारण यह भी है कि नवंबर 2022 में हापुड़ रोड स्थित 44वीं पीएसी के पास आग लगने से 400 से अधिक झुग्गियां जल गई थीं, जिसके बाद कई लोगों ने फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनवाए थे। अब प्रमाणिकता की गहनता से पड़ताल की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये सभी लोग वैध प्रवासी हैं या कहीं विदेशी नागरिक तो नहीं।



