Meerut Stray Dog Menace: मेरठ शहर में आवारा और खतरनाक कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। नगर निगम के उदासीन रवैये के कारण स्थिति और गंभीर होती जा रही है। सोमवार देर रात भगवतपुरा मुहल्ले में एक हलवाई पर आवारा कुत्तों के झुंड ने अचानक हमला कर दिया। हलवाई शादी से लौट रहे थे, तभी कुत्तों ने उन्हें नीचे गिराकर बाएं पैर को बुरी तरह नोंच दिया। घायल अवस्था में उन्होंने जिला अस्पताल में इलाज करवाया, लेकिन अगले दिन छुट्टी होने के कारण एंटी-रेबीज़ वैक्सीन नहीं लग सकी। श्यामनगर में चूड़ी व्यवसायी जुबैर भी सोमवार रात अपनी दुकान बंद कर घर लौट रहे थे। मुहल्ले के पास ही एक आवारा कुत्ते ने उनके पैर पर काट लिया। जुबैर का कहना है कि नगर निगम को कई बार सूचना देने के बावजूद कुत्ते नहीं पकड़े जा रहे। वह भी मंगलवार को अस्पताल पहुंचे, लेकिन अवकाश होने से उन्हें वैक्सीन नहीं मिल सकी।
कुत्तों का आतंक जारी, जिला अस्पताल में वैक्सीन नहीं
जागृति विहार के आनंद, जो एक स्पोर्ट्स फैक्ट्री में काम करते हैं, सोमवार रात फैक्ट्री से लौटते समय सूरजकुंड क्षेत्र में दो कुत्तों के हमले का शिकार हो गए। उन्हें जिला अस्पताल में वैक्सीन नहीं लग पाई, जिसके बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज में जाकर टीका लगवाया।
रोजाना 50 कुत्ते के काटने की शिकायत हो रही दर्ज
नगर निगम क्षेत्र में इस समय करीब एक लाख आवारा कुत्ते होने का अनुमान है। रोजाना 50 से अधिक लोग प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में एंटी-रेबीज़ वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं, जबकि 59 सीएचसी और पीएचसी में 100 से अधिक मरीज कुत्ते के काटने की शिकायत के साथ आते हैं।
डेढ़ साल की बच्ची बनी शिकार
बीते रविवार की रात बेगमपुल डिवाइडर पर रहने वाले खानाबदोश परिवार की डेढ़ साल की बच्ची गंगोत्री को भी आवारा कुत्तों ने नोंचकर मार दिया। दो दिनों में कई हमलों ने लोगों में डर बढ़ा दिया है। इसके बावजूद नगर निगम कुत्तों की बढ़ती समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम नहीं उठा पाया है।
कुत्तों,बंदरों का आतंक नहीं हो रहा कम
सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंड, खेल मैदान और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद नगर निगम ने हर साल 15 करोड़ रुपये खर्च की योजना बनाई, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली। निगम दावा करता है कि पिछले चार वर्षों में 35,457 कुत्तों की नसबंदी की गई, लेकिन फीडिंग पॉइंट, माइक्रोचिपिंग और आक्रामक कुत्तों को शेल्टर होम में रखने की योजना अब भी फाइलों में ही अटकी है। शहर में बंदरों का आतंक भी कम नहीं है। मंगलवार को भैंसाली बस स्टैंड पर बंदर यात्रियों के बैग खींचते, बसों में चढ़कर सामान नुकसान पहुंचाते देखे गए। नगर निगम इसे वन विभाग का मुद्दा बताकर पल्ला झाड़ देता है, जबकि वन विभाग इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं मानता। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमर सिंह ने बताया कि जिन जगहों से शिकायत मिली, वहां टीम भेजकर कुत्ते पकड़े गए हैं। एक एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर चल रहा है, जबकि दूसरा सेंटर और आक्रामक कुत्तों को रखने की सुविधा के लिए 10 दिसंबर को टेंडर खोला जाएगा।



