Baghpat News : बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने एक बार फिर अपने विवादित बयान से सुर्खियां बटोरी हैं। इस बार उन्होंने बागपत में एक कार्यक्रम के दौरान हिंदुओं को दरगाहों और मजारों पर न जाने की सलाह दी, और इसके पीछे अपनी कुछ आपत्तिजनक दलीलें भी दीं। इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मच गई है।
दरगाहों पर जाने से मना किया
नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि हिंदुओं को दरगाहों पर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वहां जिहादी दफन हैं, जिन्होंने महिलाओं पर अत्याचार किए और उन्हें जौहर के लिए मजबूर किया। यह बयान उन्होंने एक मांगलिक कार्यक्रम के दौरान दिया, जो बीजेपी के जिलाध्यक्ष के घर आयोजित किया गया था।
मंदिरों में सनातनी टेस्ट की बात
इसके अलावा, नंद किशोर गुर्जर ने मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं का ‘सनातनी टेस्ट’ करने की भी बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि मंदिर में आने वाले लोग यदि संदिग्ध दिखें तो उन्हें मंत्र पढ़वाकर उनकी पहचान की जांच की जाए। इसके बाद, अगर व्यक्ति मंत्र न पढ़ पाए, तो यह चेक किया जाए कि उसका खतना हुआ है या नहीं। यह बयान विवादों को और बढ़ा सकता है, क्योंकि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर इस तरह के बयान अक्सर समाज में टकराव का कारण बनते हैं।
मुस्लिम धर्मगुरुओं पर तंज
नंद किशोर गुर्जर ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदू देवताओं की पूजा करते हैं, और अरब देशों में मुस्लिम महादेव के जलाभिषेक करते हैं। उन्होंने यह दावा किया कि जल्द ही भारत में भी मौलवी जलाभिषेक करेंगे और सनातन धर्म की महिमा को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, उन्होंने ‘थूक और मूत्र जिहाद’ को एक बड़ी साजिश करार दिया और कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम धर्मगुरुओं की बोलती बंद हो गई है।
आलोचना और प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद विधायक नंद किशोर गुर्जर को विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। विपक्षी पार्टियों ने उनके बयान को साम्प्रदायिक सौहार्द्र और सामाजिक एकता को तोड़ने वाला बताया है। वहीं, कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इसे उनके सख्त विचार और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए उठाया गया कदम बताया है।
नंद किशोर गुर्जर का कार्यक्रम
नंद किशोर गुर्जर आज बीजेपी के जिलाध्यक्ष के घर आयोजित मांगलिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जहां यह विवादित बयान दिया गया। इस कार्यक्रम में उनकी पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
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गौर किया जाे तो नंद किशोर गुर्जर के बयान ने फिर से धर्म और राजनीति के बीच की जटिलताओं को उजागर किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी पार्टी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया देती है और इस बयान के राजनीतिक प्रभाव क्या होंगे।