Queen Heo Hwang Park: सरयू तट पर कोरियाई रानी का पार्क, क्यों है खास?

Queen Heo Hwang Park: अयोध्या में सरयू तट पर बन रहा ‘रानी हो’ (Queen Heo Hwang-ok) पार्क भारत–दक्षिण कोरिया के 2000 साल पुराने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते का प्रतीकात्मक केंद्र बनने जा रहा है।

Queen Heo Hwang Park: अयोध्या में सरयू तट पर बन रहा ‘रानी हो’ (Queen Heo Hwang-ok) पार्क भारत–दक्षिण कोरिया के 2000 साल पुराने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते का प्रतीकात्मक केंद्र बनने जा रहा है। यह पार्क उस कोरियाई रानी की याद में विकसित किया जा रहा है, जिनके बारे में मान्यता है कि वे अयोध्या की राजकुमारी ‘सुरिरत्ना’ थीं और उनसे कोरिया के लाखों लोग अपना वंश जोड़ते हैं।​

कौन थीं ‘कोरियाई रानी हो’ और अयोध्या क्यों?

कोरियाई ग्रंथ ‘समगुक युसा’ के अनुसार लगभग 48 ईस्वी में अयोध्या की राजकुमारी सुरिरत्ना समुद्री यात्रा करके कोरिया पहुँचीं और गिम्हे (Geumgwan Gaya) के राजा किम सु रो से विवाह कर रानी Heo Hwang-ok बनीं। आज कोरिया के कराक कबीले के करीब 60 लाख लोग खुद को इसी रानी के वंशज मानते हैं और अयोध्या को अपनी ‘मातृभूमि’ जैसा सम्मान देते हैं।​

इसी ऐतिहासिक–पौराणिक संबंध को सम्मान देने के लिए अयोध्या में पहले से मौजूद मेमोरियल को विस्तारित कर ‘क्वीन हो / रानी हो पार्क’ के रूप में बेहतर रूप दिया जा रहा है, ताकि सरयू तट पर यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मित्रता–स्थल बन सके।​

पार्क में क्या–क्या है खास?

सरयू नदी के किनारे विकसित हो रहे इस पार्क में भारतीय और कोरियाई वास्तुकला का सुंदर मेल दिखेगा।​

किंग और क्वीन पवेलियन

रानी Heo Hwang-ok और राजा किम सु रो के लिए अलग–अलग मंडप (पवेलियन) बनाए गए हैं, जहां उनके बस्ट/प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं।​

सरोवर, ‘गोल्डन एग’ और फूट ओवर ब्रिज

पार्क के बीच एक कृत्रिम तालाब बनाया गया है, जो राजकुमारी की समुद्री यात्रा का प्रतीक है।​

कोरियाई लोककथा के अनुसार राजकुमारी अपने साथ एक ‘स्वर्ण अंडा’ (Golden Egg) लेकर गई थीं; इसी प्रतीक को दिखाने के लिए पार्क में ग्रेनाइट से बना बड़ा अंडाकार इंस्टॉलेशन लगाया गया है।​
तालाब के ऊपर से गुजरने वाला फूट ओवर ब्रिज दर्शकों को दोनों किनारों और इंस्टॉलेशन तक पहुंचने का रास्ता देता है।​

मेडिटेशन हॉल, पाथवे और लैंडस्केपिंग

पार्क में एक शांत मेडिटेशन हॉल, लैंडस्केप्ड गार्डन, फाउंटेन, मूर्तियाँ, म्यूरल्स, ऑडियो–वीडियो सिस्टम, वॉकिंग पाथ, पार्किंग, गार्ड रूम आदि सुविधाएँ विकसित की गई हैं, ताकि पर्यटक आराम से समय बिता सकें और कहानी को इंटरैक्टिव तरीके से समझ सकें।​

कॉटेज और रेस्टोरेंट

हाल की रिपोर्टों के मुताबिक, पर्यटकों के ठहरने और खानपान के लिए कॉटेज और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी जा रही हैं, जिससे यह सिर्फ स्मारक नहीं, बल्कि एक पूरा पर्यटन कॉम्प्लेक्स बन सके।​

भारत–कोरिया रिश्तों के लिए महत्व

इस पार्क का विकास भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और दक्षिण कोरिया सरकार की संयुक्त योजना के तहत हो रहा है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के बीच एमओयू साइन हुआ था और 2018 में दीपोत्सव के दौरान CM योगी और कोरिया की फ़र्स्ट लेडी किम जोंग-सुक ने विस्तार कार्य का शिलान्यास किया था।​

पार्क के पूरी तरह खुलने के बाद यह:

कोरिया से आने वाले तीर्थ–पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण होगा,

अयोध्या को एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक–धार्मिक गंतव्य के रूप में नई पहचान देगा,

और दोनों देशों के बीच ‘सॉफ्ट पावर’ व पीपुल–टू–पीपुल कनेक्ट को मजबूत करेगा।

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