Operation Torch: उत्तर प्रदेश में अवैध घुसपैठ के खिलाफ योगी आदित्यनाथ सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति के तहत शुरू किया गया ऑपरेशन टॉर्च अब तेज़ और निर्णायक कार्रवाई का रूप ले चुका है। इस अभियान का मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य विदेशी नागरिकों की पहचान करना है।
रात के समय टॉर्च की रोशनी में झुग्गी-झोपड़ियों, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और अस्थायी बस्तियों में पुलिस सत्यापन कर रही है। सरकार का कहना है कि रात में जांच करने से वे लोग आसानी से पकड़े जाते हैं, जो दिन में छिप जाते हैं।
कैसे चल रहा है ऑपरेशन टॉर्च
यह अभियान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 22 नवंबर 2025 के निर्देश पर शुरू हुआ। पुलिस की टीमें घर-घर जाकर लोगों के दस्तावेज जांच रही हैं। आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, निवास प्रमाण पत्र और मोबाइल नंबर की जांच की जा रही है।
लोगों से यह भी पूछा जा रहा है कि वे कब आए, कहां से आए और यहां क्या काम कर रहे हैं। अगर किसी के दस्तावेज अधूरे या संदिग्ध मिलते हैं, तो उन्हें एक हफ्ते का समय दिया जाता है। इसके बाद भी सत्यापन न होने पर उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है।
किन जिलों में सबसे ज्यादा कार्रवाई
इस अभियान का असर कई जिलों में दिख रहा है। वाराणसी में 500 से ज्यादा संदिग्ध लोगों की पहचान की गई है। मेरठ में करीब 6,500 संदिग्ध सामने आए हैं, जबकि सहारनपुर और शामली में 3,000 से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और आसपास के इलाकों में रातभर चेकिंग चल रही है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं होंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डिटेंशन सेंटर की तैयारी
योगी सरकार ने राज्य के 17 जिलों में हाई-सिक्योरिटी डिटेंशन सेंटर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इन सेंटरों की कुल क्षमता करीब 15,000 लोगों की होगी। यहां तीन स्तर की सुरक्षा व्यवस्था, खाने-पीने और मेडिकल सुविधा भी दी जाएगी।
लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, अयोध्या और आगरा जैसे जिलों में ये सेंटर बनाए जा रहे हैं। विदेशी नागरिकता की पुष्टि होने के बाद संबंधित लोगों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सरकार का दावा और उठते सवाल
सरकार का कहना है कि इस अभियान से राज्य की सुरक्षा मजबूत होगी और सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ असली हकदारों तक पहुंचेगा। अधिकारियों के अनुसार, कुछ अवैध घुसपैठिए राशन, पेंशन और अन्य योजनाओं का गलत फायदा ले रहे थे।
वहीं विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जांच के दौरान नियमों का पालन जरूरी है, ताकि किसी निर्दोष को परेशानी न हो।
