हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के आदेश के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है। लोगों ने रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर कब्जा कर गफूर बस्ती बसा ली है। नैनीताल हाई कोर्ट ने उस अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया तो हजारों लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए। वहीं राजनीतिक पार्टियां भी अब इसमे कूद गई है। वहीं अभियान शुरू करने से एक दिन पहले SC में इस मामले में सुनवाई भी होनी है। अब देखना यह है कि SC इस मामले में क्या स्टैंड लेता है।
समाजवादी पार्टी ने इस फैसले को वापस लेने की मांग कि
उत्तराखंड के हल्द्वानी से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां रेलवे की जमीन पर बनीं अवैध कॉलोनियों को हटाने के फैसला पर विरोध बढ़ता जा रहा है। नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर सरकारी जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने के विरोध में हजारों लोग इसका प्रदर्शन कर रहें है। खासकर महिलाएं, बच्चे सड़कों पर बैठकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं, सड़कों पर नमाज पढ़ रहे हैं और कैंडल मार्च निकाले रहे हैं। जिसके बाद इस मुद्दे ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। AIMIM के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी अल्पसंख्यक कार्ड खेलते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग कि है। सपा के उत्तराखंड प्रदेश महासचिव शोएब अहमद सिद्दीकी ने इसे लेकर कहा कि अतिक्रमण के नाम पर देश में केवल एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा। बता दें की सपा पार्टी के 10 प्रतिनिधिमंडल बुधवार को हल्द्वानी में पहुंचेगें।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा….
बताते चलें की मामले ने अब राजनीतिक मोड ले लिया है। पहले 2 जनवरी को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रदर्शन कर रहे बनभूलपुरा निवासियों को लेकर कहा कि इंसानियत की बुनियाद पर उत्तराखंड, हल्द्वानी के लोगों की मदद करनी चाहिए और उन्हें वहां से नहीं निकालना चाहिए। हल्द्वानी के लोगों के सर से छत छीन लेना कौन सी इंसानियत है? तो वहीं अब सपा के उत्तराखंड प्रदेश महासचिव शोएब अहमद सिद्दीकी ने भी इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर देश में केवल एक ही समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा।
5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
इस मामले में अतिक्रमणकारियों की ओर से 2 जनवरी 2023 को SC में याचिका दायर की गई। जिस पर 5 जनवरी को सुनवाई होनी है। बता दें कि रेलवे ने नोटिस जारी कर तत्काल रेलवे स्टेशन के आसपास स्थित रेलवे की भूमि को खाली करनें को कहा। उत्तराखंड हाई कोर्ट की तरफ से अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद यह नोटिस जारी किया गया था। जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले में रेलवे और जिला प्रशासन की तैयारियों की बैठक अंतिम दौर में हो चुकी हैं। इस मामले में अब इंतजार 5 जनवरी का रहेगा। कुछ लोगों का कहना है कि वह इसी क्षेत्र में पैदा हुए और यहां रहते हुए उन्हें करीब 80 साल के हो चुके हैं। रेलवे अतिक्रमण से करीब 50,000 से ज्यादा की आबादी बेघर हो जायेगी।
हरीश रावत भी उतरे समर्थन में
वहीं बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के विरोध में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी इस मामले में उतरे। हरीश रावत ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा के लोगों के समर्थन में देहरादून स्थित अपने आवास पर एक घंटे का मौन उपवास पर बैठे हैं।