लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। 14 फरवरी 1981 को महिला डकैत फूलन देवी ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में धावा बोलकर एक ही समाज के 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। करीब 43 साल तक चले मुकदमे का 14 फरवरी 2024 को फैसला आया। कोर्ट ने एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं यूपी के इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। प्रदेश के पूर्व डीजीपी, आईपीएस अधिकारी रहे सांसद बृजलाल ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान दावा किया कि, फूलन देवी के साथ बेहमई में सामूहिक दुष्कर्म नहीं हुआ। बैंडिड क्वीन ने मुखबिरी की शक के कारण निर्दोषों का खून बहाया था।
बीहड़ में हुआ था फूलन के साथ दुष्कर्म
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल की एक किताब बाजार में आई है। इस किताब में उन्होंने जरायम की दुनिया के अपराधियों के बारे में विस्तार से बताया है। किताब आने के बाद पूर्व डीजीपी ब्रजलाल एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया। जिसमें उन्होंने दावा किया कि कानपुर देहात के बेहमई गांव में फूलन देवी के साथ सामूहिक दुष्कर्म नहीं हुआ था। पूर्व डीजीपी ने कहा कि बेहमई में फूलन को कभी बंधक नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि मैं साफ कहना चाहता हूं कि फूलन का ये कहना कि उसका अपहरण किया गया, गलत है। दूसरा उसका ये कहना कि बेहमई गांव में ठाकुरों ने उसका एक-एक कर दुष्कर्म किया और ये हुआ, टोटली गलत है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दुष्कर्म बीहड़ में हुआ था। ालाराम, सरराम आदि ने इस घटना को अंजाम को दिया था।
फूलन देवी ने टोटली झूठ बोला
न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने बताया, फरवरी के माह में गांवों में गैंग नहीं रूका करते थे। तब कहा गया था कि 10 दिन गैंग रुका रहा। 10 दिनों तक वहां रहा। यह टोटली गलत है। बृजलाल ने कहा फूलन देवी ने टोटली झूठ बोला था। उन्होंने आगे कहा कि, हमें जंटर सिंह ने बताया कि बेहमई नरसंहार के बाद मीडिया वहां पहुंची थी। घर के बाहर लोगों के शव पड़े थे। तब एक पत्रकार मौके पर पहुंचा। मृतक की पत्नी से प्रश्न किया कि क्या आपके पति ने फूलन देवी के साथ रेप किया था। इस पर महिला ने उस पत्रकार की चप्पल से पिटाई कर दी। पत्रकार ने पिटाई के बाद पूरी घटना को अलग तरीके से दिखाया गया।
लालराम-श्रीराम ने फूलन का किया था अपहरण
पूर्व डीजीपी बृजलाल ने आगे कहा कि इसके बाद बैंडिट क्वीन फिल्म बनी। फिल्म में उन्हें मिर्च-मसाला लगाना था। उन लोगों ने पूरी घटना को अलग तरीके से पेश कर दिया। दरअसल, बेहमई कांड डकैत श्रीराम और लालाराम की फूलन से रंजिश एवं मुखबिरी के शक में हुआ था। डकैत श्रीराम और लालाराम, बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज थे। वे फूलन देवी को ही हत्या के लिए जिम्मेदार मानते थे। वे बदला लेना चाहते थे। ऐसे में उन लोगों ने साजिश रची। फूलन देवी को इन लोगों ने अगवा कर लिया और कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा। दुष्कर्म किया। इसी घटना के बाद फूलन देवी ने हथियार उठा लिया। खुद का गैंग बनाया और लालाराम और श्रीराम गैंग के खिलाफ धावा बोला।
मुखबिरी के कारण किया नरसंहार
फूलन देवी को शक था कि बेहमई गांव के लोग श्रीराम गिरोह को संरक्षण देते हैं। उसकी मुखबिरी भी करते हैं। बेहमई गांव यमुना किनारे है और डकैतों का आना-जाना रहता था। इसी आक्रोश में फूलन देवी ने 20 निर्दोषों की जान ले ली। बताया जाता है कि लालाराम और श्रीराम की रिश्तेदारी बेहमई गांव में थी। वह अक्सर यहां आते थे। फूलन का गैंग भी यमुना के किनारे ही रहता था। फूलन देवी हरहाल में लालाराम और श्रीराम को मारना चाहती थी। उस वक्त बीहड़ में दो समुदाय के गैंग सक्रिय थे। एक गैंग की कमान लालराम के हाथों में थी, जिसमें राजपूत समाज के लोग डकैत थे। जबकि दूसरी गैंग की बागडोर फूलन देवी के हाथों में थी। फूलन की गैंग में निषाद के अलावा दूसरी अन्य जातियों के डकैत थे।
अब जानें पूर्व डीजीपी ब्रजलाल के बारे में
बृजलाल 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। मायावती सरकार के दौरान वे यूपी के डीजीपी रहे थे। 30 सितंबर 2011 से 8 जनवरी 2012 तक वे डीजीपी पद पर कार्यरत थे। मायावती सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें दबंग पुलिस अधिकारी के रूप में जाना जाता थे। चंबल के कई अभियानों में वे शामिल रहे थे। 2015 में पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। वर्ष 2018 में उन्हें यूपी एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। अभी वे भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सांसद हैं। उन्हें अपने सेवाकाल में कई पुरस्कारों से नवाजा गया।