Mathura Police Case: उत्तर प्रदेश में लगातार हो रहे एनकाउंटरों की विश्वसनीयता पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठा है। मथुरा में हुई एक घटना में अदालत ने न केवल पुलिस के दावे को खारिज किया, बल्कि मुठभेड़ में शामिल रहे 15 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है।
सीजेएम की अदालत ने यह आदेश फरह थाना क्षेत्र के ग्राम कोह के ग्राम प्रधान हरेन्द्र सिंह की याचिका पर दिया है। प्रधान को फरवरी 2025 में उनके घर से उठाया गया था और अगले ही दिन उन्हें तीन अन्य लोगों के साथ बिसावर पुलिस चौकी क्षेत्र में हुई एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार दिखाया गया, जिसमें उन पर लूट का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने तब अपनी पीठ थपथपाई थी, लेकिन ग्राम प्रधान ने जमानत पर बाहर आने के बाद इस पूरे एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कानूनी लड़ाई शुरू की।
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प्रधान हरेन्द्र सिंह ने बताया कि हाथरस पुलिस ने जिस दिन उन्हें उठाया था, उसी दिन उनके पिता गजेन्द्र सिंह ने सीजेएम अदालत में पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की याचिका दाखिल कर दी थी। लंबी सुनवाई के बाद, प्रधान के अधिवक्ता प्रेम सिंह चौहान ने बताया कि सीजेएम की अदालत ने 27 नवंबर 2025 को तत्कालीन सादाबाद Mathura कोतवाली प्रभारी, एसओजी प्रभारी समेत 15 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
अदालत का यह आदेश फरह थाने पहुंच चुका है। हालांकि, यह मामला Mathura विभागीय होने के कारण फरह पुलिस अभी मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी कर रही है। इस घटना ने एक बार फिर विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा यूपी में कथित फर्जी एनकाउंटरों पर लगातार उठाए जा रहे सवालों को बल दिया है।










