Prayagraj : महाकुंभ मेला न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि भक्तों और साधु संतों की अद्भुत भक्ति का एक बड़ा केंद्र है। यह मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है और दुनिया भर से श्रद्धालु यहां एकत्र होते हैं। इस बार के महाकुंभ मेला में कुछ बेहद खास और रहस्यमयी साधु संत भी शामिल हो रहे हैं, जिनकी भक्ति और तपस्या देखकर लोग दंग रह जाते हैं। कुंभ मेला में एक सप्ताह का समय और बचा है और बड़ी संख्या में लोग इस मेले में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं।
रुद्राक्ष बाबा11,000 रुद्राक्षों की माला के साथ
इस बार के महाकुंभ मेला में एक संत रुद्राक्ष बाबा भी शामिल हुए हैं। वे 108 रुद्राक्ष की माला पहनते हैं, जिसमें कुल मिलाकर 11,000 रुद्राक्ष हैं। इन रुद्राक्षों का वजन लगभग 30 किलो है और रुद्राक्ष बाबा अब इस कारण से बहुत प्रसिद्ध हो गए हैं। रुद्राक्ष बाबा का कहना है, यह 11,000 रुद्राक्ष भगवान शिव के रुद्र हैं। इन रुद्राक्षों को मेरे उपासकों ने मुझे उपहार में दिया था और मैं इन्हें बहुत समय से पहन रहा हूं। हर साधु अपनी तपस्या के दौरान रुद्राक्ष पहनता है। ये रुद्राक्ष उनकी साधना और भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक हैं। उनका जीवन इस पवित्र माला में समाहित है।
खड़ेश्वर नागा बाबा की तपस्या और संदेश
महाकुंभ मेले में गुजरात के खड़ेश्वर नागा बाबा भी पहुंचे हैं। वे पिछले 12 वर्षों से लगातार खड़े रहकर लोगों के कल्याण के लिए तपस्या कर रहे हैं। उन्होंने खुद को सहारा देने के लिए एक झूला बनाया है, और उनका कहना है, जब तक मेरी सांसें चलती रहेंगी, मैं खड़ा रहूंगा। खड़ेश्वर नागा बाबा की तपस्या ने उन्हें एक प्रेरणा स्रोत बना दिया है। उनका मानना है कि हम अपने जीवन में पॉलिथीन का उपयोग बंद करें, क्योंकि इससे हमारे स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता है। उन्होंने भारत के युवाओं से अपील की कि वे पॉलिथीन का उपयोग न करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण मिल सके।
छोटू बाबा और अन्य रहस्यमयी साधु
महाकुंभ मेला हर बार कुछ रहस्यमयी साधु संतों से भरपूर होता है। इस बार छोटू बाबा भी यहां आए हैं, जिन्होंने पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं किया है। उनका मानना है कि बिना स्नान के भी भक्ति की जा सकती है और इसका उद्देश्य केवल आत्मा की शुद्धि है। इसके अलावा एक अन्य संत 20 किलो की चाबी लेकर आए हैं, जो उनके साथ हर समय रहती है। उनकी भक्ति और साधना को देखना सचमुच अद्भुत है।
ई रिक्शा बाबा की यात्रा
महाकुंभ में ई रिक्शा बाबा भी शामिल हुए हैं, जिन्होंने महाकुंभ मेला में भाग लेने के लिए दिल्ली से प्रयागराज तक की यात्रा की। यह यात्रा उन्होंने ई रिक्शा के जरिए की, जो इस बात का प्रतीक है कि साधना और भक्ति किसी साधन से परे होती है।