कुछ लोग अक्सर अभावों की दुहाई देकर अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश करते हैं, लेकिन गाजियाबाद जिला के कैदी इसके ठीक उलट बंदिशों में रहते हुए कामयाबी की नई इबारत लिखने में जुटे हुए हैं। यहां कैदयों को हुनरमंद बनाने के लिए कवायद की जा रही है। जिला कारागार के जेल अधीक्षक आलोक सिंह द्वारा कैदियों को प्रशिक्षण मुहैया कराकर हुनरमंद बनाया जा रहा है। जहां एक ओर जेल में मौजूद दो दर्जन से अधिक कैदी मिट्टी के बर्तन बना रहें है तो वहीं अन्य कैदी मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को अभी सीख रहे हैं।
कारागार से छूटने पर वो खुद को स्थापित कर सके
गाजियाबाद के जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने बताया कि जेल में आने वाले कैदयों से बातचीत कर पता लगाया जाता है कि असल में उनमें क्या कुछ हुनर है। या वो किस क्षेत्र में सबसे ज्यादा अपनी रुचि रखते है। कैदियों के द्वारा हुनर और रूचि का पता लगाये जाने के बाद उनको प्रशिक्षित किया जाता है। जिसके चलते कैदी जब कारागार से छूटे तो समाज मे खुद को एक अच्छे इंसान के रूप में स्थापित कर सके। इंडिया विजन फाउंडेशन, एचसीएल समेत कई संस्थाओं की सहयोग से बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
कारीगर द्वारा कैदियों को मिल रहा प्रशिक्षण
कैदियों से जेल में मिट्टी के बर्तन बनवाने की शुरुआत की जा रही है। कारीगर के माध्यम से मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए कैदियों को बारीकियां समझाई गई। जिसके बाद कैदी बंदी पूरी तरह से मिट्टी के बर्तन बनाना सीख चुके हैं। जेल अधीक्षक का कहना है की हमारा मूल उद्देश्य बंदियों को प्रशिक्षित करना है। जिससे कि जेल से छूटने के बाद वे इस काम को अपनी आजीविका के रूप में अपना सकें और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।
सामान्य जनता कैदियों द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन खरीद सकेगें
आपको बता दें, अभी जो भी कैदयों द्वारा मिट्टी के बर्तन तैयार किए जा रहे वो जेल में मौजूद कैंटीन के इस्तेमाल में काम आ रहें। जेल में कोऑपरेटिव सोसाइटी पहले से स्थापित है। सोसाइटी जीएसटी नंबर मिल चुका है। मुख्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद आउटलेट तैयार कराया जाएगा। जिसके बाद माध्यम से सामान्य जनता कैदियों द्वारा बनाई गए मिट्टी के बर्तनों को खरीद सकेगें। जिससे अर्जित आय को कैदियों के बैंक एकाउंट में जमा कराया जा सकेगा।
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