Ramji Lal Suman convoy accident: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन पर जारी विवाद ने एक बार फिर से सनसनी फैला दी है। आज आगरा से गभाना-बुलंदशहर की ओर जाते समय उनके काफिले में अचानक हड़कंप मच गया। करणी सेना के कार्यकर्ताओं को सड़क पर देखकर काफिले की गाड़ियाँ तेज रफ्तार में आपस में टकरा गईं। इस हादसे में वाहन क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, Ramji Lal Suman के काफिले ने जैसे ही करणी सेना के कार्यकर्ताओं को देखा, भगदड़ मच गई और चालक घबराहट में गाड़ियाँ तेजी से भगाने लगे, जिससे दुर्घटना हो गई। मौके पर मौजूद पुलिस ने तुरंत हालात को काबू में लिया। हालाँकि, किसी भी तरह की गिरफ्तारी या नई हिंसा की खबर नहीं है।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब रामजी लाल सुमन और करणी सेना के बीच तनाव अपने चरम पर है। पूरा मामला 21 मार्च 2025 से शुरू हुआ था, जब संसद में सुमन ने 16वीं सदी के राजपूत योद्धा राणा सांगा को “गद्दार” कहकर संबोधित किया था। सुमन ने आरोप लगाया था कि राणा सांगा ने मुगल शासक बाबर को भारत बुलाया था। उनके इस बयान से राजपूत समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया था।
इसके बाद 26 मार्च को आगरा में Ramji Lal Suman के आवास पर बड़ी संख्या में करणी सेना कार्यकर्ताओं ने हमला किया। पत्थरबाज़ी और तोड़फोड़ में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे और पुलिस बल को भी चोटें आई थीं। सुमन के बेटे ने इस घटना के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
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तनाव तब और बढ़ गया जब Ramji Lal Suman ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा था कि वे इतिहास पर आधारित अपने बयान पर कायम हैं और किसी भी दबाव में आकर माफी नहीं माँगेंगे। इसके जवाब में करणी सेना ने पूरे राज्य में आंदोलन तेज कर दिया था।
12 अप्रैल को आगरा में “स्वाभिमान रैली” निकाली गई थी, जिसमें हथियारों का प्रदर्शन किया गया। 18 अप्रैल को अलीगढ़ में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, जिसने सुमन की हत्या के लिए इनाम की घोषणा की थी। इसके अगले ही दिन सपा प्रमुख ने आगरा जाकर सुमन से मुलाकात की और इसे “राजनीतिक साजिश” करार दिया।
अब, 27 अप्रैल की ताज़ा घटना ने एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। रामजी लाल सुमन की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से समीक्षा शुरू कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार सुमन की सुरक्षा बढ़ाने पर विचार कर रही है।
इस पूरे विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया है। सपा इसे दलित अस्मिता पर हमला बता रही है, जबकि करणी सेना राजपूत सम्मान के सवाल को उठा रही है। फिलहाल हालात बेहद संवेदनशील बने हुए हैं और आने वाले दिनों में तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।