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धनवानों का धुआँ, निर्धन की घुटन: जहरीली हवा पर CJI Suryakant का कड़ा प्रहार

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वायु प्रदूषण संकट पर सुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि अदालत केवल प्रभावी आदेश देगी जिनका पालन कराया जा सके, जबकि न्याय मित्र ने स्कूलों द्वारा प्रतिबंधों को दरकिनार करने का मामला उठाया। 

Mayank Yadav by Mayank Yadav
December 15, 2025
in Latest News, उत्तर प्रदेश, दिल्ली
CJI Suryakant
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CJI Suryakant rich-poor amicus curiae: देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते वायु प्रदूषण के स्तर से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त रुख अपनाया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने इस दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ती है, जबकि प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों में अक्सर संपन्न वर्ग की भूमिका होती है। एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि गरीब मजदूर इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पामचोली भी शामिल थे, ने न्याय मित्र की दलीलों पर गौर किया और कहा कि वह इस मामले की सुनवाई 17 दिसंबर को करेगा। (119 शब्द)

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निर्देशों के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई

वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने अदालत का ध्यान इस बात पर केंद्रित किया कि अदालतों द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकारें प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े प्रोटोकॉल मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन नहीं हो रहा है।

अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर-जनवरी के दौरान खेल गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके बावजूद स्कूलों ने खेल गतिविधियां आयोजित करने के “रास्ते निकाल लिए” हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अदालत के आदेशों को दरकिनार करने के लिए राज्य सरकारों की तरफ से ‘तरीके और साधन’ अपनाए जा रहे हैं और जमीनी स्तर पर स्थिति में सुधार नहीं दिख रहा है।

जबरन लागू करने पड़ते हैं कुछ निर्देश

न्याय मित्र की इन दलीलों पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत इस समस्या से पूरी तरह अवगत है और केवल ऐसे आदेश पारित किए जाएंगे, जो प्रभावी हों और जिनका अनुपालन कराया जा सके।

CJI Suryakant ने स्वीकार किया कि “कुछ निर्देश ऐसे होते हैं, जिन्हें जबरन लागू करना पड़ता है,” लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि महानगरों में लोगों की अपनी जीवनशैली होती है, जिसे बदलना आसान नहीं है।

CJI Suryakant ने स्पष्ट किया कि अदालत समस्या को जानती है और दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण से जुड़ा यह मामला 17 दिसंबर को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा, जहां इस पर विस्तार से विचार किया जाएगा।

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Tags: CJI Suryakant
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