Rohini Ghavri Chandrashekhar controversy: स्विटजरलैंड की पीएचडी स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रोहिणी घावरी ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पर शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं। सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने दावा किया कि चंद्रशेखर ने न सिर्फ उनका, बल्कि कई अन्य लड़कियों का भी शोषण किया। रोहिणी का कहना है कि वह लोकसभा चुनाव 2024 तक इसलिए चुप रहीं ताकि चंद्रशेखर को कोई राजनीतिक नुकसान न हो। अब जब उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं, तो उन्होंने पूरी सच्चाई सामने लाने की ठानी है। इस विवाद पर पहली बार चंद्रशेखर ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि वह महिला सम्मान को सर्वोपरि मानते हैं और इन आरोपों का जवाब अदालत में देंगे।
कौन हैं डॉ. रोहिणी घावरी?
डॉ. Rohini Ghavri इंदौर की रहने वाली हैं और वर्तमान में स्विटजरलैंड में रहकर एक एनजीओ चला रही हैं। वह एक अस्पताल में सफाईकर्मी की बेटी हैं और 2019 में उच्च शिक्षा के लिए विदेश गई थीं। उन्हें पीएचडी के लिए एक करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी। पिछले पांच वर्षों से वह स्विटजरलैंड में कार्यरत हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में “जयश्री राम” के उद्घोष के साथ भाषण देकर भी सुर्खियां बटोरी थीं। अब वह एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार एक गंभीर विवाद को लेकर।
क्या हैं आरोप?
डॉ. Rohini Ghavri का दावा है कि चंद्रशेखर आजाद के साथ उनका निजी रिश्ता था। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि चंद्रशेखर पहले से विवाहित हैं। रोहिणी ने आरोप लगाया है कि उनके साथ भावनात्मक और मानसिक शोषण किया गया। उनका यह भी कहना है कि चंद्रशेखर ने कई अन्य लड़कियों के साथ भी इसी प्रकार का व्यवहार किया है और अब वे लड़कियां उनसे संपर्क कर रही हैं। उन्होंने मामले को कोर्ट में ले जाने की बात कही है।
चंद्रशेखर आजाद का जवाब
डॉ. Rohini Ghavri के आरोपों के बाद यह मामला तेजी से वायरल हुआ, लेकिन चंद्रशेखर आजाद अब तक इस पर खामोश थे। पहली बार मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “यह मामला महिला के सम्मान से जुड़ा है। मेरे संस्कारों में महिलाओं का सम्मान सर्वोपरि है। मुझे जानकारी मिली है कि वह कोर्ट जा रही हैं, तो मैं भी वहां ही जवाब दूंगा।”
राजनीति पर असर संभव
चंद्रशेखर आजाद हाल ही में नगीना लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। उनकी छवि एक तेज-तर्रार दलित नेता की रही है, लेकिन इस विवाद से उनकी साख पर असर पड़ सकता है। रोहिणी के आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है और आने वाले समय में यह मामला राजनीतिक गलियारों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।