सहारनपुर में पकड़ा गया टावर चोर गैंग, 15 मिनट में मोबाइल टावर से उड़ा देते थे लाखों का सामान

सहारनपुर में पुलिस ने मोबाइल टावरों से महंगे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट चोरी करने वाले एक प्रोफेशनल गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो महज 10–15 मिनट में पूरे टावर को लगभग “साफ” कर देता था।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पुलिस ने मोबाइल टावरों से महंगे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट चोरी करने वाले एक प्रोफेशनल गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो महज 10–15 मिनट में पूरे टावर को लगभग “साफ” कर देता था। मंडी थाना पुलिस ने छापेमारी कर गैंग के तीन सदस्यों को पकड़ा और उनके कब्जे से करीब एक करोड़ रुपये कीमत के RRU, RRH और अन्य नेटवर्क उपकरण बरामद किए हैं।​

कैसे करते थे टावर पर धावा?

जांच में सामने आया कि गैंग के सदस्य पहले रात में सुनसान इलाकों में लगे मोबाइल टावरों की रेकी करते थे और फिर एक तय रात को वहां पहुंचते थे। गैंग का एक युवक 100–150 फीट ऊंचे टावर पर चढ़ने में माहिर था; वह तेज़ी से ऊपर जाकर वहां लगे महंगे RRU, RRH और संबंधित डिवाइसों को खोलकर नीचे फेंक देता था, जबकि उसके दो साथी नीचे खड़े होकर उन्हें तुरंत बाइक पर लादकर फरार हो जाते थे। पूरी वारदात 10 से 15 मिनट के भीतर निपटा दी जाती थी, ताकि किसी को भनक न लगे और अलार्म या सिक्योरिटी गार्ड सक्रिय होने से पहले वे साइट छोड़ दें।​

पकड़े गए आरोपियों में मुंतजिर और अरशद दो सगे भाई हैं, जबकि तीसरा साथी टावर पर चढ़ने और टेलीकॉम इक्विपमेंट की वायरिंग/फिटिंग समझने में माहिर बताया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, यह गैंग कई टेलीकॉम कंपनियों के टावरों से लाखों रुपये के पार्ट चुरा चुका है और बरामद सामान की अनुमानित कीमत ही एक करोड़ से अधिक है।​

दिल्ली–NCR तक फैला नेटवर्क

सहारनपुर में गैंग के पकड़े जाने से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी मोबाइल टावरों से RRU चोरी करने वाले एक अन्य गिरोह का भंडाफोड़ किया था। उस मामले में गाज़ियाबाद के लोनी निवासी 20 वर्षीय अमन उर्फ मंडे को गिरफ्तार किया गया, जो दिन में फूल डिलीवरी का काम करता था और रात में टावरों पर चढ़कर RRU चोरी करता था। उसके पास से लगभग 20 लाख रुपये मूल्य के 5 RRU, हाईटेक टूल्स–सॉफ्टवेयर और चोरी में इस्तेमाल की गई मारुति ऑल्टो 800 कार बरामद की गई थी।​

सहारनपुर के SP देहात सागर जैन ने मंडी थाना पुलिस टीम की सराहना करते हुए कहा कि इस गैंग की गिरफ्तारी से जिले में हो रही टावर चोरी की घटनाओं पर बड़ा अंकुश लगेगा और टेलीकॉम कंपनियों को हो रहा आर्थिक नुकसान काफी हद तक रुक सकेगा। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ये गैंग चोरी किए गए महंगे टेलीकॉम इक्विपमेंट किस चैनल के ज़रिए बेचते थे और क्या इनके तार किसी बड़े अंतरजिलीय या अंतरराज्यीय रैकेट से जुड़े हैं।

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