Sambhal survey:संभल जामा मस्जिद सर्वेक्षण रिपोर्ट कोर्ट में पेश, जनवरी में होगी सुनवाई

संभल जिले की शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की रिपोर्ट लगभग पूरी हो चुकी है और इसे जनवरी के पहले हफ्ते में अदालत में पेश किया जाएगा। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने बताया कि रिपोर्ट अंतिम चरण में है और कुछ तकनीकी मुद्दों का समाधान आज कर लिया जाएगा।

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Sambhal Jama Masjid survey: संभल जिले की शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की रिपोर्ट अब लगभग पूरी हो चुकी है और इसे जनवरी के पहले हफ्ते में अदालत में पेश किया जाएगा। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने मंगलवार को बताया कि रिपोर्ट अंतिम चरण में है, और कुछ तकनीकी मुद्दों का समाधान आज कर लिया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने 6 जनवरी तक कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया है, ऐसे में यह रिपोर्ट कोर्ट में निर्धारित तिथि से पहले दाखिल की जाएगी। इस मामले को लेकर विवाद अब भी ताजा है, और इसे लेकर कई घटनाएं सामने आई हैं।

सर्वेक्षण रिपोर्ट की अंतिम स्थिति और कानूनी प्रक्रिया

Sambhal शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण मामला जटिल बनता जा रहा है। 19 नवंबर को स्थानीय अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका पर गौर करते हुए मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एकपक्षीय आदेश पारित किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि Sambhal मस्जिद का निर्माण मुग़ल सम्राट बाबर ने 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त करके किया था। इसके बाद से इस मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर विवाद बढ़ गया था।

एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव के अनुसार, सर्वेक्षण रिपोर्ट लगभग तैयार हो चुकी है और कुछ तकनीकी मुद्दों पर काम चल रहा है, जिन्हें जल्दी ही हल कर लिया जाएगा। रिपोर्ट अदालत में दाखिल होने के बाद इसकी आगे की कार्यवाही का निर्धारण किया जाएगा। राघव ने यह भी बताया कि इस रिपोर्ट को 2 या 3 जनवरी को अदालत में पेश किया जाएगा, क्योंकि 6 जनवरी तक उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर कोई भी कार्रवाई करने से रोक लगाई है।

सर्वेक्षण के दौरान हिंसा और इसके प्रभाव

सर्वेक्षण के दौरान 24 नवंबर को भारी विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें स्थानीय लोग सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए। इस झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को संभल की सुनवाई अदालत से सर्वेक्षण से जुड़ी कार्यवाही को रोकने का आदेश दिया था, साथ ही प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित इलाके में शांति बनाए रखने का निर्देश दिया था।

वर्तमान में यह मामला प्रदेश सरकार के लिए चुनौती बन गया है, क्योंकि इससे जुड़ी  Sambhalहिंसा और विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है। अब देखना यह है कि कोर्ट की ओर से इस मसले पर आने वाले फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा और आगे की प्रक्रिया कैसे विकसित होगी।

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