कानपुर। ब्राजील की आठ वर्षीय बच्ची निकोल ऑलिवेरिया के बारे में आपने जरूर सुना होगा। नन्हीं परी नासा के मिशन एस्टेरॉयड्स (क्षुद्र ग्रह) की तलाश कार्यक्रम में शामिल होकर दुनिया की सबसे युवा खगोल वैज्ञानिक बन गई हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा कानपुर के PSIT से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और Raman Research and Innovation के संस्थापक एवं CEO संदीप खरे ने करके दिखाया है। युवा साइंटिस्ट ने अपनी टीम के साथ ‘त्रिशूल’ नाम का साउंडिंग रॉकेट का निर्माण किया है। यह रॉकेट 1 किलोग्राम तक के पेलोड को 1 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है।
8 लोगों की टीम ने विकसित किया
कानपुर के PSIT से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और Raman Research and Innovation के संस्थापक एवं CEO संदीप खरे ने बताया कि त्रिशूल साउंडिंग रॉकेट देशभर के तकनीकी कॉलेजों के छात्रों को उनके द्वारा विकसित पेलोड को अंतरिक्ष के निकट भेजने का अवसर देगा। इस रॉकेट को 10 महीनों की कड़ी मेहनत और 8 लोगों की टीम ने विकसित किया है। संदीप खरे ने ISRO के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC), तिरुवनंतपुरम में सात दिनों तक स्पेस मिशन डिजाइनिंग का गहन अध्ययन किया। वहां से लौटने के बाद, उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक टीम बनाई और रॉकेट निर्माण की दिशा में काम शुरू किया। इस यात्रा में उनके साथ CTO स्पर्श वर्मा और लवित्र साहू प्रमुख रूप से जुड़े।
पूर्व चेयरमैन एस. सोमनाथ ने सराहना की थी
पिछले साल अप्रैल में, IN/SPACe और ISRO द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में संदीप खरे और उनकी टीम ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में उन्होंने एक CanSat (छोटा उपग्रह मॉडल) विकसित किया, जिसे कई किलोमीटर ऊपर से छोड़ा गया और सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराई गई। उनके इस नवाचार की ISRO के पूर्व चेयरमैन एस. सोमनाथ ने सराहना की थी।
1 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम
‘त्रिशूल’ रॉकेट के विकास में विभिन्न विशेषज्ञों की अहम भूमिका रही। लवित्र साहू और रितिश कटियार ने एवियोनिक्स डिज़ाइन तैयार किया। रिया वर्मा और वैष्णवी चौरसिया ने संरचनात्मक डिज़ाइन बनाया। ग्राउंड कंट्रोल सॉफ्टवेयर का कार्य गौरव शाही ने किया। संदीप खरे ने बताया कि हमारी टीम ने कड़ी मेहनत के जरिए त्रिशूल रॉकेट का निर्माण किया है। ये रॉकेट 1 किलोग्राम तक के पेलोड को 1 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है।
एक ट्रेनर के रूप में कार्य कर रहे संदीप
वर्तमान में, संदीप खरे PSIT कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेल में एक ट्रेनर के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार, उनकी कंपनी Raman Research and Innovation का उद्देश्य स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी को गांव-गांव और शहर-शहर तक पहुंचाना है। वे चाहते हैं कि टियर-2 और टियर-3 शहरों के छात्र भी इस क्षेत्र में अवसर प्राप्त कर सकें और भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
नासा और इसरो के साथ जुड़े
फिलहाल, संदीप खरे अपने साथ स्पर्श वर्मा और लवित्र साहू के साथ मिलकर ड्रोन टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स और स्पेस टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि भारत के युवा इनोवेशन और रिसर्च में अधिक भागीदारी करें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करें। संदीप का सपना है कि वह नासा और इसरो के साथ जुड़े। संदीप ने बताया कि बीटेक की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें जॉब मिली। पर उन्होंने नौकरी के बजाए कुछ अलग करने का बीणा उठाया हुआ है। वह आने वाले दिनों में मिसाइल पर भी काम करना चाहते हैं।