Shankh Air: उत्तर प्रदेश की विमानन सेवाओं में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। Shankh Air, जो राज्य की पहली शेड्यूल्ड एयरलाइन होगी, को नागरिक उड्डयन मंत्रालय से हरी झंडी मिल गई है। लखनऊ और नोएडा से अपने परिचालन की शुरुआत करने वाली इस एयरलाइन का उद्देश्य देशभर के प्रमुख शहरों को जोड़ना है। शंख एयर को संचालन के लिए तीन साल के लिए ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) प्राप्त हुआ है, हालांकि इसके लिए अब भी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से अंतिम मंजूरी की आवश्यकता होगी।
देशभर में प्रमुख शहरों को जोड़ेगी शंख एयर
Shankh Air का संचालन लखनऊ और नोएडा के हब से शुरू होगा। कंपनी का उद्देश्य है देशभर के प्रमुख शहरों को जोड़ना, खासकर उन मार्गों पर जहां उड़ानों की उच्च मांग है, लेकिन सीधी उड़ानों की कमी है। शंख एयर अंतरराज्यीय और राज्य के भीतर उड़ान सेवाएं प्रदान करने की योजना बना रही है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में सुधार होगा।
FDI और अन्य नियमों का पालन करने के निर्देश
मंत्रालय द्वारा दिए गए अनुमोदन पत्र में कंपनी को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ-साथ अन्य संबंधित नियमों और प्रावधानों का अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं। एयरलाइन के शुरू होने से उन क्षेत्रों में संपर्क बढ़ेगा जहां उड़ान विकल्प सीमित हैं, जिससे क्षेत्रीय गतिशीलता में सुधार होने की उम्मीद है।
भारत में इंडिगो का दबदबा, एयर इंडिया भी विस्तार पर
वर्तमान में इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी 63% है। एयरलाइन लगातार अपने यात्रियों की संख्या में वृद्धि कर रही है, जिससे यह देश के तेजी से बढ़ते विमानन उद्योग में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। एयर इंडिया, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन है, भी तेजी से विस्तार कर रही है। टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस के सहयोग से एयर इंडिया जल्द ही विस्तारा के साथ विलय करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, एयर इंडिया एयरएशिया इंडिया का अधिग्रहण कर रही है, जिसे वह अपने कम लागत वाले एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ विलय करेगी।
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छोटी एयरलाइंस के लिए चुनौतियां, गो एयरलाइन और स्पाइसजेट संकट में
भारत के विमानन क्षेत्र में बड़े एयरलाइंस का विस्तार जारी है, जिससे छोटे एयरलाइंस को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। गो एयरलाइंस इंडिया लिमिटेड ने मई में वित्तीय संकट और इंजन की समस्याओं के चलते अपने संचालन को बंद कर दिया था और अब इसे फिर से शुरू करने के लिए धन जुटाने में मुश्किल हो रही है। इसके अलावा, लो-कॉस्ट एयरलाइन स्पाइसजेट पिछले पांच साल से घाटे में चल रही है और गंभीर वित्तीय समस्याओं का सामना कर रही है। लीज भुगतानों में देरी के चलते कंपनी पर दिवाला कार्यवाही का खतरा मंडरा रहा है।
स्पाइसजेट की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट
स्पाइसजेट की बाजार हिस्सेदारी जनवरी 2023 में 5.6% थी, जो अगस्त तक घटकर 2.3% रह गई है। 2021 में कंपनी की हिस्सेदारी 10.5% थी, लेकिन अब यह अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक धन जुटाने में संघर्ष कर रही है।