Fatehpur Police: फतेहपुर जिले में तैनात एक सिपाही का अपनी ही पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। महोबा में तैनात सिपाही अखिलेश कुमार ने वीडियो के जरिए अपनी चोरी हुई बाइक बरामद न होने पर Police की निष्क्रियता और भेदभावपूर्ण रवैये का आरोप लगाया। यह मामला 9 नवंबर 2024 का है, जब अमौली कस्बे में एक शादी समारोह के दौरान उनकी HF डीलक्स बाइक (UP 78-HF 9953) चोरी हो गई थी। उन्होंने पुलिस चौकी प्रभारी आलोक कुमार को सूचना दी और प्रार्थना पत्र भी सौंपा, लेकिन एक सप्ताह तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
सिपाही अखिलेश ने वीडियो में बताया कि उनके पास बाइक चोरी से जुड़े वीडियो और फोटो के स्पष्ट साक्ष्य मौजूद हैं। बावजूद इसके, चौकी प्रभारी ने मामले की गंभीरता से जांच नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि चौकी प्रभारी वृंदावन पैलेस के मालिक से मेलजोल रखते हैं, लेकिन चोरी की जांच में कोई रुचि नहीं दिखा रहे।
यूपी पुलिस के सिपाही की बाइक चोरी हो गई है.
सिपाही का कहना है- बाइक चोरी होने के 1 हफ्ते बाद FIR दर्ज हो पाई.
FIR दर्ज कराने के लिए भी कई जगह चिरौरी करनी पड़ी.
सिपाही यूपी पुलिस की कार्यशैली से परेशान है. pic.twitter.com/YhU928QuzS
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) November 27, 2024
भाई को भगाने का आरोप
सिपाही ने यह भी खुलासा किया कि जब उनके भाई ने इस मामले की जांच को लेकर चौकी प्रभारी से संपर्क किया, तो उसे वहां से भगा दिया गया। वीडियो में सिपाही ने भावुक अपील करते हुए कहा, “मेरी बाइक वापस दिलाई जाए। मुझे किसी से कोई व्यक्तिगत परेशानी नहीं है, लेकिन चौकी इंचार्ज के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
सिपाही के इस वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर पुलिस विभाग की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। लोग Police की निष्क्रियता और लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, इस मामले में पुलिस विभाग के किसी अधिकारी ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
सोशल मीडिया पर उठी मांग
वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों ने सिपाही की मदद के लिए आवाज उठाई है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
फिलहाल, यह देखना होगा कि पुलिस विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है। लेकिन यह घटना न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि विभाग के अंदर व्याप्त समस्याओं की ओर भी इशारा करती है।