UP Fake degree Fraud: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर बरेली तक फर्जी दस्तावेजों से सरकारी नौकरी हासिल करने के मामलों ने UP पुलिस विभाग और केंद्रीय बलों की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लखनऊ में एक महिला ने अपने ही पति पर फर्जी मार्कशीट के आधार पर सिपाही की नौकरी पाने का आरोप लगाया है, जबकि आईटीबीपी में तैनात तीन युवतियों पर असम का फर्जी निवास प्रमाणपत्र लगाने का मामला उजागर हुआ है। दोनों ही मामलों में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच शुरू हो गई है। ये खुलासे सरकारी भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता और दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया को लेकर नए सिरे से बहस खड़ी कर रहे हैं।
पत्नी ने खोली पति की पोल, दर्ज कराई एफआईआर
लखनऊ के जानकीपुरम की रहने वाली नूरशबा ने चिनहट थाने में अपने पति महताब आलम के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। नूरशबा का कहना है कि महताब ने वर्ष 2006 में UP पुलिस विभाग में UP सिपाही की नौकरी पाने के लिए फर्जी मार्कशीट लगाई। उनके अनुसार महताब की उम्र उस समय योग्यता सीमा से अधिक थी, लेकिन उम्र घटाने के लिए उन्होंने हाईस्कूल की मार्कशीट में हेराफेरी की। इस समय महताब आलम की तैनाती मल्हौर स्थित सीबीसीआईडी मुख्यालय में है। पत्नी की तहरीर पर महताब के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार करने और धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
नूरशबा ने आरोपों की पुष्टि के लिए बलिया स्थित नीरुपुर विद्यालय और वाराणसी स्थित माध्यमिक शिक्षा परिषद से दस्तावेजों की जांच कराने की मांग की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और शिक्षा विभाग से संबंधित दस्तावेज भी तलब किए गए हैं।
आईटीबीपी में फर्जी प्रमाणपत्र से भर्ती, गृह मंत्रालय ने दिए केस दर्ज करने के आदेश
दूसरी ओर, असम की तीन युवतियों — पार्वती कुमारी, रोशनी प्रजापति और प्रीती यादव — ने 2024 में हरियाणा में हुई कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में भाग लिया और फर्जी निवास प्रमाणपत्र के जरिए आईटीबीपी में जीडी कांस्टेबल पद पर चयनित हो गईं। उनकी तैनाती बरेली के बुखारा कैंप में की गई थी।
ज्वाइनिंग से पहले जब दस्तावेज सत्यापन के लिए उनके असली पते असम भेजे गए, तब यह फर्जीवाड़ा सामने आया। जिला प्रशासन की रिपोर्ट में बताया गया कि तीनों युवतियों के निवास प्रमाणपत्र कभी जारी ही नहीं किए गए थे। इसके बाद आईटीबीपी के दंडपाल की ओर से थाना कैंट में तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
UP पुलिस की प्रतिक्रिया
लखनऊ के चिनहट थाने के इंस्पेक्टर दिनेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि सिपाही महताब के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और शिक्षा विभाग से दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई है। वहीं, बरेली में कैंट क्षेत्र के सीओ आशुतोष शिवम ने बताया कि गृह मंत्रालय के निर्देश पर तीनों युवतियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
इन दोनों मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी नौकरियों में फर्जी दस्तावेजों का खेल अब भी जारी है। अगर दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया सख्ती से लागू न की जाए तो योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होता रहेगा। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि जब तक व्यक्तिगत शिकायतें या दस्तावेज जांच नहीं होती, तब तक ऐसे मामले किस तरह छुपे रहते हैं?