Swami Prasad Maurya controversy: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। वाराणसी की एक अदालत ने श्रीरामचरितमानस पर दिए गए पुराने विवादित बयान के मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला करीब दो साल पुराना है, जब Swami Prasad Maurya ने एक टीवी इंटरव्यू में रामचरितमानस को “बकवास” बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। उनके इस बयान को लेकर समाज के कई वर्गों ने नाराजगी जताई थी। अब कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले मौर्य को इसी मुद्दे को लेकर सार्वजनिक मंच पर थप्पड़ भी पड़ चुकी है।
विवाद फिर उबाल पर
वाराणसी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार त्रिपाठी की अदालत ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश देते हुए कैंट थाना प्रभारी को जांच के निर्देश दिए हैं। ये आदेश एक आपराधिक निगरानी याचिका पर पुनः सुनवाई के बाद 4 अगस्त 2025 को जारी किया गया। गौरतलब है कि वर्ष 2023 में अधिवक्ता अशोक कुमार द्वारा इस मामले में शिकायत दी गई थी, जिसमें कहा गया कि उन्होंने 22 जनवरी 2023 को टीवी पर मौर्य का इंटरव्यू देखा, जिसमें श्रीरामचरितमानस के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया था।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आदेश
शिकायतकर्ता अधिवक्ता ने 24 जनवरी 2023 को वाराणसी पुलिस कमिश्नर को लिखित शिकायत दी थी, और 25 जनवरी को सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अदालत में अर्जी दाखिल की थी। हालांकि, इसे 17 अक्तूबर 2023 को कोर्ट ने खारिज कर दिया। बाद में सत्र न्यायालय में आपराधिक रिवीजन दायर किया गया, जिसे मंजूर करते हुए विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) ने निचली अदालत को दोबारा सुनवाई का आदेश दिया। उसी का परिणाम है कि अब FIR और जांच की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
बयान ने खोला राजनीतिक मोर्चा
Swami Prasad Maurya ने अपने राजनीतिक सफर में बसपा, भाजपा और सपा जैसी प्रमुख पार्टियों का हिस्सा रहकर मंत्री पद संभाला है। वर्ष 2022 के चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा छोड़ सपा का दामन थामा और फिर अलग होकर राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाई। विवादित बयान देने के बाद मौर्य को तीव्र आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। वे एक टीवी डिबेट में श्रीरामचरितमानस को “बकवास” कह चुके हैं और इस ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर चुके हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं।
पहले भी हो चुकी है हाथापाई
Swami Prasad Maurya के इस बयान के चलते उन्हें कई बार विरोध का सामना करना पड़ा है। एक बार सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्हें थप्पड़ भी मारा गया था। अब जबकि अदालत ने उनके खिलाफ FIR और जांच के आदेश दिए हैं, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या यह मामला मौर्य की राजनीतिक छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है।
श्रीरामचरितमानस जैसे धार्मिक ग्रंथों पर टिप्पणी करना अब भी समाज में बेहद संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। कोर्ट का यह आदेश बताता है कि दो साल पुरानी बात भी तब तक खत्म नहीं होती, जब तक न्यायिक प्रक्रिया पूरी न हो। अब देखना होगा कि इस केस में जांच किस दिशा में जाती है और स्वामी प्रसाद मौर्य की आगे की राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।