Allahabad High court का अहम फैसला क्या अब अध्यापकों को election duty से मिल जाएगी राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अध्यापकों को चुनावी ड्यूटी पर न लगाया जाए, जब तक अन्य सरकारी कर्मचारियों की तैनाती पूरी न हो जाए। झांसी के एक शिक्षक की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला आया।

teachers election duty exemption

 Teachers election duty exemption इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि अध्यापकों को बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) के रूप में तैनात करने या चुनावी ड्यूटी पर लगाने की जरूरत नहीं है। उनकी ड्यूटी तभी लगाई जाए जब बाकी सभी सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति के बाद भी जरूरत बचे।

अध्यापकों के लिए राहत भरा फैसला

यह फैसला झांसी के एक प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापक सूर्य प्रताप की याचिका पर आया है। उन्होंने अदालत में अपील की थी कि उन्हें बूथ स्तर अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है और मतदाता सूची संशोधन जैसे कार्य दिए गए हैं, जो उनके शिक्षण कार्य में बाधा डालते हैं।

इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि चुनाव आयोग ने पहले ही अपने दिशानिर्देशों में स्पष्ट किया है कि अध्यापकों को कम से कम चुनावी ड्यूटी दी जानी चाहिए। इस नियम का पालन करना जरूरी है।

शिक्षकों की भूमिका और चुनावी कार्य के बीच संतुलन जरूरी

न्यायालय ने कहा कि शिक्षकों का मुख्य काम बच्चों को पढ़ाना है, और उन्हें चुनावी कामों में लगाने से शिक्षा पर असर पड़ता है। चुनाव आयोग के निर्देशों में साफ कहा गया है कि जब तक अन्य सरकारी कर्मचारियों की उपलब्धता पूरी तरह समाप्त न हो जाए, तब तक शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी पर नहीं लगाया जाए।

न्यायमूर्ति अजय भनोट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “राज्य सरकार के अधिकारी अध्यापकों के खाली समय पर हल्के या अव्यवस्थित तरीके से अतिक्रमण नहीं कर सकते।” उन्होंने कहा कि शिक्षकों का आत्मचिंतन और पढ़ाने का समय बेहद अहम है, और इसे चुनावी कामों के नाम पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।

अध्यापकों के लिए क्यों जरूरी था यह फैसला?

पिछले कुछ सालों से चुनावों के दौरान अध्यापकों को मतदान केंद्रों पर ड्यूटी देने, मतदाता सूची अपडेट करने और अन्य चुनावी कार्यों में लगा दिया जाता था। इससे उनकी पढ़ाने की जिम्मेदारी प्रभावित होती थी, और कई बार पढ़ाई का नुकसान होता था।

इस फैसले से अब अध्यापकों को राहत मिलेगी, क्योंकि जब तक कोई दूसरा सरकारी कर्मचारी उपलब्ध होगा, तब तक उन्हें चुनावी ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा।

चुनाव आयोग को सख्ती से करना होगा पालन

उच्च न्यायालय ने यह भी साफ किया कि चुनाव आयोग को अपने निर्देशों का कड़ाई से पालन कराना होगा ताकि अध्यापकों को चुनावी कार्यों से दूर रखा जा सके।

इस फैसले से स्कूलों में पढ़ाई का माहौल सुधरेगा और अध्यापकों को बिना किसी अतिरिक्त दबाव के बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने का मौका मिलेगा।

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