कानपुर। हनुमान जी को अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, संकट मोचन, राम भक्त, महाबली, बजरंगबली जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। साथ ही हनुमानजी को चिरंजीवी भी कहा जाता है। चिरंजीवी यानी की अजर-अमर। हनुमान जी पृथ्वी पर मौजूद हैं और अपने भक्तों के संकटों को हरते हैं। दुनिया भर में बजरंग बली के कई चमत्कारी मंदिर हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की मूर्ति मूर्ति प्रसाद खाती है। मूर्ति के आसपास राम नाम की ध्वनी भी सुनाई देती है। यही चमत्कार मंदिर में हनुमान जी के होने का संकेत देता है।
ये मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद से 12 किलोमीटर की दूरी पर थाना सिविल लाइन क्षेत्र के गांव रूरा के पास है। यहां यमुना नदी के निकट पिलुआ महावीर मंदिर है। इस मंदिर से आसपास के जिलों सहित दूर-दूर से भी भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां दर्शन करने आए भक्तों की भगवान हनुमान जटिल से जटिल रोग भी ठीक कर देते हैं। हनुमान जयंती के साथ ही हर मंगलवार और शनिवार को भक्तों का मंदिर में जनसैलाब उमड़ता है। भक्तों हनुमान जी के दर पर आकर पूजा-अर्चना करते हैं और मन्नत मांगते हैं। बजरंगबली अपने भक्तों की मुरादों को पुरा करते हैं। उनके संकटों को हरते हैं।
ग्रामीणों का दावा है कि यहां मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति प्रसाद खाती है। इसके अलावा मूर्ति के मुख से लगातार राम नाम की ध्वनी सुनाई देती है और मूर्ति में सांसें चलने का आभास भी होता है। मंदिर में स्थापित हनुमान जी दक्षिण की तरफ मुंह करके लेटे हैं। मूर्ति के मुंह में जितना भी प्रसाद के रूप में लड्डू और दूध चढ़ाया जाता है वह कहां गायब हो जाता है, इसके बारे में आजतक कोई पता नहीं लगा पाया है। ग्रामीणों ने दावा किया कि यहां हनुमान जी रहते हैं। हर भक्त की समस्या को सुनते हैं और उसका निराकरण भी करते हैं। देश के कोने-कोने से भक्त हनुमान जी के दर पर आते हैं।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि 300 साल पूर्व यह क्षेत्र प्रतापनेर के राजा हुक्म चंद्र प्रताप सिंह चौहान के अधीन था। उनको श्री हनुमानजी ने अपनी प्रतिमा यहां होने का सपना दिया था। इसके तहत राजा हुक्म चंद्र इस स्थान पर आए और प्रतिमा को उठाने का प्रयास किया पर वे उठा नहीं सके। इस पर उन्होंने विधि-विधान से इसी स्थान पर प्रतिमा की स्थापना कराकर मंदिर का निर्माण कराया। दक्षिणमुखी लेटी हुई हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख तक हर समय पानी नजर आता है.।चाहे जितना प्रसाद एक साथ मुख में डाला जाए, सब कुछ उनके उदर में समा जाता है। अभी तक कोई भक्त उनके उदर को नहीं भर सका और न यह पता चला कि यह प्रसाद कहां चला जाता है।
बुड़वा मंगल पर पिलुआ महावीर मंदिर पर विशाल मेला लगता है। मंदिर पर हजारों की संख्या में भक्त पूजा अर्चना करने के लिऐ पहुंचते है और पिलुआ महावीर की पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के पुजारी जवाहर सिंह बताते हैं कि बीहड़ में स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप में कई चमत्कार समेटे हुए है। लेकिन आज तक इसके इस रहस्य को कोई पता नहीं लगा पाया कि इसके मुखार बिंदु में प्रसाद के रूप में जाने वाला दूध, पानी और लडडू आखिरकार जाता कहां है। इसको चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा।