Mulayam Singh Yadav Death Anniversary: समाजवादी राजनीति के प्रमुख नेता मुलायम सिंह यादव की आज (10 अक्टूबर) दूसरी पुण्यतिथि है। जब भी भारत की लोकतांत्रिक राजनीति की चर्चा होगी, मुलायम सिंह यादव का नाम हमेशा पहले पंक्ति के नेताओं में शामिल रहेगा। उनकी कहानी यह साबित करती है कि कोई भी आम व्यक्ति राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने भारतीय राजनीति में लगभग सभी महत्वपूर्ण ऊंचाइयों को छुआ है और उनका राजनीतिक जीवन कई रोचक किस्सों से भरा हुआ है। हालांकि, उनके सियासी सफर में दो ऐसे बयान रहे हैं जिन्होंने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी थी। आइए जानते हैं कि वे कौन से दो बड़े बयान थे, जो चर्चा का विषय बने।
नेताजी के 2 चर्चित बयान
1. ‘देश की एकता के लिए और भी मारना पड़ता तो सुरक्षा बल मारते.’
साल 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर हुई गोलीबारी के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। इस घटना ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना लिया था। मुलायम सिंह यादव ने इस घटना को लेकर 2013 में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि देश की एकता के लिए उनकी सरकार की पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी।
उन्होंने कहा, “मैंने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह मंदिर-मस्जिद का सवाल नहीं है, बल्कि देश की एकता का सवाल है। देश की एकता के लिए हमारी सरकार की पुलिस को गोली चलानी पड़ी। मुझे दुख है कि इस दौरान लोगों की जानें गईं।”
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2. ‘लड़कों से गलतियां तो हो जाती हैं’
साल 2014 में मुरादाबाद में एक रैली के दौरान मुलायम सिंह यादव ने एक रेप मामले का जिक्र करते हुए एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, “रेप के मामलों में फांसी की सजा देना गलत है। लड़कों से गलतियां हो जाती हैं, इसलिए उन्हें फांसी नहीं मिलनी चाहिए। कभी-कभी आरोप लगाने के लिए भी लड़कों पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं… ऐसे कानूनों में बदलाव की जरूरत है।”
हालांकि, अपने 52 साल के लंबे राजनीतिक करियर में मुलायम सिंह ने केवल ये दो विवादित बयान नहीं दिए, लेकिन इन दोनों बयानों ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी।